पानीपत : धान की खेती का सीधा असर भूजल स्तर पर पड़ता है। किसान मुनाफे के चलते इसे नजरअंदाज कर देते हैं। जिले में भूजल का स्तर गिरकर 300-350 मीटर पर पहुंच गया है। समालखा क्षेत्र में कई गांव डार्क जोन घोषित हो चुके हैं। आने वाली भावी पीढि़यों को इसका भयानक परिणाम भुगतना पड़ सकता है। गिरते भूजल स्तर में सुधार लाने के लिए विभाग ने धान की सीधी बिजाई करने वाले किसानों को पांच हजार रुपये प्रति एकड़ अनुदान देने की भी घोषणा की है।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डॉ. वीरेंद्र देव आर्य के मुताबिक जिले में 1.01 लाख किसान हैं, जो हर सीजन में 75 हजार हेक्टेयर (यानि 1.85 लाख एकड़) में धान की रोपाई करते है। एक एकड़ भूमि में धान उगाने के लिए करीब 60 लाख लीटर पानी की खपत होती है। जिसके बाद लगभग दो टन धान का उत्पादन होता है। पानी की खपत की यह मात्रा किसी अन्य फसल की तुलना में काफी अधिक है।
ट्यूबवेल हो चुके हैं ठप
पिछले दो सालों में घटते भूजल स्तर के कारण जनस्वास्थ्य विभाग के ट्यूबवेल ठप हो गए हैं। पानीपत में पांच साल में पेयजल सप्लाई 25 एमएलडी (मिलियन लीटर पर डे) के हिसाब से बढ़कर 75 एमएलडी पहुंच गई। जनस्वास्थ्य विभाग शहर की आबादी 7.13 लाख को आधार मानकर हर रोज करीब 75 एमएलडी पानी सप्लाई कर रहा है। शहर में लगे 301 ट्यूबवेलों से सुबह व शाम इतनी सप्लाई दी जाती है, लेकिन ये इंतजाम भी नाकाफी है।
अरहर और मक्का उगाने वाले किसानों को मिलेगी प्रोत्साहन राशि
जिले को जल संकट से उबारने के लिए सरकार किसानों को अरहर और मक्का की खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। धान छोड़कर अरहर और मक्का की खेती करने वाले किसानों को भी सरकार चार से साढ़े चार हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि देगी। इसमें नकद प्रोत्साहन, बीज और किसानों की फसल का बीमा प्रीमियम शामिल है। वहीं एमएसपी पर फसल खरीद की गारंटी भी राज्य सरकार ले रही है।
अरबों लीटर पानी बर्बाद
धान की खेती में प्रति वर्ष अरबों लीटर पानी खर्च हो जाता है। तकनीकी सहायक डॉ. देवेंद्र कुहाड़ ने बताया कि हरियाणा में वर्ष 2014 में 12 लाख 77 हजार हेक्टेयर जमीन में 39 लाख 89 हजार टन धान का उत्पादन हुआ था। वर्ष 2018 में 14 लाख 47 हजार हेक्टेयर जमीन में 45 लाख 16 हजार टन धान का उत्पादन हुआ। धान की अधिक खेती होने से भूजल साढ़े चार से सवा छह मीटर तक नीचे चला गया है। धान की खेती के तरीके में बदलाव नहीं लाया गया तो जिला डार्क जोन में आ जाएगा।