हम लेकर आये किसानों के लिए अच्छी खबर है। अब मक्का की फसल भी उनके लिए धान के बराबर फायदे की खेती होगी। मक्का अब से धान के बराबरी करने के लिए पूरी तरह तैयार है। सरकार ने इसके लिए योजना को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। इसके भी फायदे बताये गए है की, पहला फायदा तो यह होगा कि पानी की बचत होगी, दूसरे किसान का खर्च और मेहनत दोनों कम हो जाएंगी। इसके पीछे मकसद भूजल की हो रही बर्बादी को रोकना है। धान की 85 फीसद खेती भूजल पर निर्भर है।
लगातार गिर रहे पानी के स्तर की वजह के कारण करनाल को पहले से ही डार्क जोन घोषित किया गया है। यह स्थिति अन्य जिलों में भी विकराल रूप न ले, इसके लिए किसान एवं कल्याण विभाग ने मक्का को एमएसपी पर खरीदने का फैसला किया है। सुनने में आया है की आचार संहिता हटने के बाद इसको मूर्त रूप दिया जाएगा।
ऐसे पूरा होगा घाटा
मक्का को एमएसपी पर खरीदे जाने के बाद भी यदि धान से मक्का की आमदनी कम रह जाती है तो सरकार भावांतर योजना के तहत उसकी भरपाई करेगी। सरकार का मानना है कि किसान मक्का की फसल की बुआई इसलिए नहीं करते, क्योंकि मार्केट नहीं है। यदि बुआई कर भी ली तो उसको औने-पौने दामों पर बेचना पड़ता है। अब सरसों की तर्ज पर प्रदेश की कुछ मंडियों को चिह्नित किया जाएगा। जहां मक्का को एमएसपी पर खरीदा जाएगा। इस से किसानो को काफी राहत मिलेगी, और किसान समृद्ध होंगे।
पर्यावरण और स्वास्थ्य में भी होगा सुधार
आपको बता दे की धान के बजाय मक्का की खेती करने से पानी बचने के अलावा पर्यावरण और स्वास्थ्य की दिशा में भी एक नया सुधार आएगा। धान की फसल में रसायनों का अधिक प्रयोग होता है। मक्का में इनका न के बराबर प्रयोग होगा। दूसरा अवशेषों को जलाने की नौबत नहीं आएगी। केमिकल रहित अनाज मिलेगा। करनाल जिले में भू-जल की स्थिति
क्षेत्र का नाम भू-जल की स्थिति
करनाल 25.00 मीटर
इंद्री 18.66 मीटर
नीलोखेड़ी 26.40 मीटर
निसिग 23.00 मीटर
घरौंडा 22.56 मीटर
असंध 23.61 मीटर वर्जन
मक्का की फसल को एमएसपी पर खरीदने की प्लानिग है। उच्चाधिकारियों की बैठक हुई थी। जितनी आमदनी धान की फसल से होती है उसके बराबर मक्का से भी होगी। किसान का घाटा भावांतर योजना से पूरा किया जाएगा।