अजमेर. देश के विभिन्न राज्यों में एग्रीकल्चर लैंड को लीज पर देने के लिए बने अलग-अलग कानूनों को एकरूप करने की कवायद की जा रही है। किसानों को अपनी जमीन लीज पर देने से ज्यादा से ज्यादा फायदा मिले और देश में एग्रीकल्चर लैंड का लीज मार्केट डेवलप हो, इसके लिए नाबार्ड ने मुहिम शुरू की है। इसके तहत सभी राज्यों से एग्रीकल्चर लैंड लीज संबंधी कानूनों का ब्योरा एकत्रित किया जा रहा है। नाबार्ड ने राजस्व मंडल राजस्थान से भी राज्य में एग्रीकल्चर लैंड को लीज पर देने संबंधी प्रचलित कानून की जानकारी मांगी थी। मंडल प्रशासन ने नाबार्ड को राज्य के काश्तकारी कानून में जमीन को सबलेट करने और लीज पर देने संबंधी नए बने प्रावधानों की जानकारी भिजवाई है।
नेशनल बैंक ऑफ एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) के डिप्टी जनरल मैनेजर मुकेश वत्स ने पिछले सप्ताह राजस्व मंडल की अध्यक्ष को भेजे पत्र में एग्रीकल्चर लैंड लीज संबंधी कानून की जानकारी चाही थी। नाबार्ड की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि देश में एग्रीकल्चर लीज संबंधी कानून में एकरूपता नहीं है। ऐसे में गरीब काश्तकारों को अपनी जमीन लीज पर देने से वह फायदा नहीं मिल पाता है, जिसका वह हकदार है। ऐसे में पूरे देश में समान कानून लागू हो तो उसका फायदा काश्तकारों को मिलेगा। इसके साथ ही यह भी जानकारी हो पाएगी कि किस प्रदेश में लीज के जरिए काश्तकारों को किस तरह के लाभ मिल रहे हैं।
राजस्व मंडल प्रशासन ने नाबार्ड द्वारा चाही गई सूचना तैयार कर भिजवा दी है। वैसे ज्यादातर प्रदेशों में एग्रीकल्चर लैंड को लीज पर देने संबंधी जो कानून है उसके तहत काश्तकार अपनी जमीन या उसके किसी भाग को पांच साल के लिए लीज पर दे सकता है। इसके बाद दो साल का अंतराल जरूरी है। लेकिन लीज व सबलेटिंग को लेकर कानून में अलग-अलग प्रावधान हैं। राजस्थान में काश्तकारी कानून के तहत जमीन को लीज पर देने के लिए प्रावधान नहीं था और केवल पांच साल के लिए सबलेट का ही प्रावधान है। लेकिन हाल ही में सरकार ने इसमें संशोधन कर गैर कृषि प्रयोजन के लिए कृषि भूमि को लीज पर देने के प्रावधान किए हैं।
राज्य में सौर ऊर्जा के लिए विशेष प्रावधान
राजस्थान में काश्तकारी अधिनियम की धारा 45 के तहत कृषि भूमि को सबलेट करने का प्रावधान है। इसके तहत खुदकाश्त का धारक या भू-स्वामी अपनी संपूर्ण जोत यानी जमीन या उसके किसी भाग को पांच वर्ष तक के लिए सबलेट कर सकता है। लेकिन इस प्रावधान और लीज पर देने संबंधी प्रावधान में अंतर है। राज्य सरकार कुछ समय पहले ही नया विधेयक लाई है, जिसके जरिए ऊर्जा उत्पादकों को जमीन लीज पर दिए जाने का प्रावधान किया गया है। इस तरह सौर व पवन ऊर्जा के लिए काश्तकार अपनी जमीन को लीज पर दे सकता है। इसकी अवधि तीस वर्ष तक हो सकती है। सरकार ने धारा 45 के साथ ही भू-राजस्व अधिनियम की धारा 90 क में भी संशोधन का विधेयक पारित किया है, जिसके तहत कृषि भूमि का अकृषि प्रयोजनार्थ उपयोग किया जा सकता है।