चूहों की विध्वंसक गतिविधियां - बाजरा, मूंग, मूंगफली, जीरा, टमाटर, मिर्च, गेहूं, सरसों आदि प्रमुख फसलों को 5 से 15 प्रतिशत तक हानि पहुंचाती है। ये फसलें कट कर जब खलिहानों में आती हैं, तो चूहे वहां भी पहुंच जाते हैं। वहाँ फसल को भी खा जाते हैं, और बिलो में भी उठा कर ले जाते हैं। उपज के खलिहान से गोदाम तथा मण्डी तक पहुंचने तक चूहे इनका पीछा नहीं छोड़ते हैं। भण्डारण एवं आवासीय क्षेत्रों में भी चूहों का उत्पाद सदैव बना रहता है। अक्सर देखा गया है कि किसान खेतों में चूहों की उपस्थिति को अनदेखा कर देते हैं, और नतीजा यह होता है कि चूहों की संख्या दिन-प्रति-दिन बढ़ती रहती है, और फसल पकते समय ऐसी स्थिति आ जाती है, जब उनका नुकसान रोकने के सारे उपाय विफल रहते हैं। इसलिए चूहों की समस्या से निपटने के उचित समय पर कार्यवाही करना अत्यंत आवश्यक है।
नियंत्रित करने के तरीके:
- जिंक फास्फाइड का उपयोग से परिचित है, चूहे चालक होते है, कुछ चूहों के मरने के बाद चूहे जिंक फास्फाइड का उपचारित दाने-बेट से दूर रहते है। एल्युमिनियम फास्फाइड भी प्रभावी है।
- चूहों को गुड़-तेल पसंद है, गुड़-तेल में रुई मिलाकर गोलियां बना कर रखे। रुई गले में फस जाती है। और चूहों की दम घुटने से मृत्यु हो जाती है।
- रतनजोत की पत्तियां आधा किलो पीस कर 100 ग्राम गुड़ व दो केले में मिला कर चूहों के बिल के पास रखें।
- बेशरम की पत्ती एक कि.ग्रा., धतूरे के फल पांच, चने/मक्के/ज्वार आधा किलो पांच लीटर पानी में उबालकर, उसे बिल के पास रखें।
- कुछ चूहे पकड़ कर उस पर सिंदूर को तेल में मिलकर लगाएं और उन चूहों को छोड़ दे। वह अपने बिल समुदाय में पहुंचने पर अन्य चूहे डर के कारण बिल छोड़ कर भाग जाते हैं।
- इन सभी उपायों के अलावा, गोदामों और घर में बिल्ली भी चूहा नियंत्रण में सहायक होती हैं।