मेरठ(उप) - किसानों की दशा को सुधारने वाली 13 जून 2016 को लागू हुई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चार साल में चार कदम भी नहीं चली। प्राकृतिक आपदा से फसल को होने वाले नुकसान से किसान को बचाने के लिए लिए कम प्रीमियम पर मुआवजा राशि देने के दावों के बावजूद यह धरातल पर नहीं उतर पाई। मवाना तहसील में 95 फीसद से ज्यादातर किसानों को योजना की जानकारी ही नहीं है।
मेरठ में 1 लाख 97 हजार हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि और 2 लाख 850 किसान
कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार जनपद में 2 लाख 7305 प्रतिवेदित हेक्टेयर जमीन है, जिसमें 1 लाख 97 हजार 823 हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है। जबकि 2 लाख 850 किसान खेती करते हैं। तहसील मवाना क्षेत्र में इसका कुल क्षेत्रफल 84782 हेक्टेयर है, और रकबे के साथ 79.88 हजार किसान हैं। फसल बीमा योजना के लाभांवित 5 फीसद भी नहीं हैं।
पांच हजार से अधिक बाढ़ पीड़ितों को नहीं मिला मुआवजा
हस्तिनापुर के 22 गांवों की 7523.04 हेक्टेयर भूमि गंगा में आई बाढ़ से प्रभावित हुई थी और 4810 से अधिक किसानों की धान, ज्वार और गन्ने की 50 फीसद से अधिक फसल बर्बाद हो गई थी। लेकिन यहां किसानों को फसल बीमा योजना का लाभ अभी तक नहीं मिला। कृषि विभाग का दावा है कि 72 घंटे में आपदा की जानकारी देना जरूरी है, जबकि स्थानीय प्रशासन शासन को रिपोर्ट भेजने का दावा कर रहा है।
योजना की जानकारी से 95 फीसद किसान अछूते
फसल बीमा योजना की जानकारी 95 फीसद से ज्यादा किसानों को नहीं है। हस्तिनापुर के गुढ़ा गांव निवासी धर्मपाल सिंह ने बताया चार साल में किसानों ने कई बार ओलावृष्टि व बाढ़ से नुकसान झेला है। इसमें धान, चरी और उड़द समेत अन्य फसलें नष्ट हुईं। लेकिन आज तक कोई मुआवजा योजना के तहत नहीं मिला। मोरना गांव के बाबूराम का कहना है फसल बीमा योजना उन्हें नहीं पता। मीवा निवासी शौकीन गुर्जर का कहना है कृषि बीमा योजना के लिए रबी व खरीफ की फसल का प्रीमियम बैंक द्वारा कटा, लेकिन लाभांश नहीं मिला। गणेशपुर निवासी जितेंद्र त्यागी सिंह का कहना है कि यह योजना सरकारी फाइलों में कैद होकर रह गई।
कृषि विभाग मेरठ के आंकड़े, वर्ष 2016-17 से 2019 तक योजना से लाभांवित हुए किसान और खरीफ फसल के लिए पंजीकृत किसान रबी के पंजीकृत किसान लाभांवित किसान
वर्ष 2016-17
116 किसान 33 किसान 9.52लाख रुपये
वर्ष 2017-18
26 किसान 58 हजार रुपये
वर्ष 2018-19
220 किसान 4 लाख 26 हजार रुपये
इंश्योरेंस कंपनी के फायदे का सौदा
फसल बीमा योजना भले ही किसानों के मुफीद नहीं रही, लेकिन बीमा कंपनी के लिए फायदे का सौदा रही। साल 2016-17 में खरीफ की फसल के लिए 27467 किसान पंजीकृत हुए और रबी के लिए 10288 किसान। जबकि वर्ष 2017-18 में इनकी संख्या घटकर खरीफ के लिए 694 व रबी के लिए 2678 रह गई। जबकि वर्ष 2018-19 के लिए खरीफ में 2343 ऋणि व 85 गैर ऋणि और रबी के लिए 2256 ऋणि व 48 गैर ऋणि पंजीकृत हुए। इसी वर्ष ही 26.56 लाख रुपये का प्रीमियर बीमा कंपनी ने किसानों से वसूला।
इन्होंने कहा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में रबी की गेंहू, सरसों व आलू और खरीफ की धान, उड़द अरहर की फसल को रखा गया है। जबकि गन्ने को वर्ष 2017 में बाहर कर दिया था। प्रीमियर जमा न करना भी पात्रों की संख्या कम का कारण है।
-शैलेंद्र कुमार, उपनिदेशक कृषि विभाग, मेरठ