- बीज को धूप में सुखाकर भण्डारण करें। नमी 9-10 % कम रहना चाहिए। सूखे बीज को लकड़ी के पटिये-बल्लियों पर बोरे भर कर रखें। बोरे दिवाल से दूर रखें। फर्स पर सूखा गेहूँ /सोयाबीन / धान का भूसा पाल रखें।
- गेहूँ खाने के लिए: 1 क्वि. में 250 मिली. अरण्डी का तेल मिला कर भण्डारण करें।
- अरहर, चना, मुंग, उड़द, मसूर, में सरसों/करडी/सोयाबीन का तेल मिलाये, मात्रा 200 मिली./क्वि. बीज।
- खड़ी दालें मूंग,उड़द, अरहर,चना, को कण्डे की राख में रखें। राख से कीड़े दूर रहते हैं। राख के कारण बीज सतह सुखी रहती है।
- 1 किलो चावल में 5 ग्राम पुदीने के सूखे पत्ते का पॉवडर रखें, इससे कीड़े दूर रहेंगे।
- नीम की सुखी पत्ती: नीम की सुखी पत्ती, टहनिया एक पुरानी पद्धति हैं, कई प्रकार के अनाज के भण्डारण हेतु इसका उपयोग होता हैं।
- अचार की बोतल में फफूंद लगना आम बात है। खाली बोतल को गरम पानी से धोलें। जलते कोयले पर हींग की एक चुटकी डाले, खाली बोतल को उल्टा कर धुँआ-धूमीकरण करे। पून: अचार भरने के लिए बोतल तैयार करें।
- एक किलो दाल में 15-20 लवंग रखने पर कीटों के प्रकोप से बचाव होता है। लवंग को फिर उपयोग में ले सकते हैं।
- हल्दी पाउडर से उपचार करके बीज भण्डारण किया जाता है। बुआई पूर्व बीज को उपचार करने से धान, गेहूँ वह सब्जियों के बीज से जड़ सड़न की रोकथाम संभव हैं।