भिंडी की खेती के लिए जरुरी जानकारी, अवश्य पढ़े

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Kisaan Helpline

Agriculture Dec 17, 2019

भारत में बोई जाने वाली सब्जियों में भिण्डी का अपना एक अलग ही महत्त्व है। भिंडी एक ऐसी फसल है जो रबी और खरीफ दोनों ही सीजन में उगाई जा सकती है। लेकिन कई किसानो की  समस्या रही है की भिंडी में कीटों का प्रकोप ज्यादा होता है। तो आइये हम आपको बताते है  की कैसे इन समस्याओं को शुरूआती दौर में ही दूर किया जाये-

फल छेदक : प्रारंभिक अवस्था में इसकी इल्ली नाजुक तने को छेद करती है और इसके कारण पौधे का तना एवं शीर्ष भाग पूरी तरह से सूख जाता है।

प्रबंधन

क्षतिग्रस्त पौधो के तनो तथा फलों को एकत्रित करके नष्ट कर देना चाहिए, इसके अलावा मुख्य फसल के बीच-बीच में और चारों तरफ बेबीकॉर्न लगायें। 

फुदका या तेला : फुदका या तेला कीट का प्रकोप पौधो के प्रारम्भिक अवस्था के समय होता है, जो पौधे शिशु एवं वयस्क होते है, ये उन पौधे की पत्तियों की निचली सतह से रस चूसते हैं। परिणाम ये होता है की पौधे की पत्तियां पीली पड़ती हैं और मुरझाकर सूख जाती हैं।

प्रबंधन

इसके लिए अंकुरण के तुरंत बाद मिट्टी मे नीम की खली 250 कि.ग्रा. प्रति हेक्टयेर की दर से मिला देना चाहिए, इसे बुवाई के बाद भी मिला सकते है।

सफेद मक्खी : आकार में छोटे ये कीट पौधे की पत्तियों, कोमल तने एवं फल से रस चूसकर नुकसान पहुंचाते है, और इससे पौधो की वृध्दि कम होती है।

प्रबंधन

इसके लिए अंकुरण के तुरंत बाद मिट्टी मे नीम की खली 250 कि.ग्रा. प्रति हेक्टयेर की दर से मिला देना चाहिए। बुआई के 30 दिन के बाद 1 प्रतिशत नीम तेल का छिडकाव जरूर करें।

रेड स्पाइडर माइट - यह कीट पौधों के लिए बेहत ही खतरनाक होता है और ये अपने मुखांग से पत्तियों की कोशिकाओं में छेद कर देता हैं परिणामस्वरूप जो द्रव निकलता है उसे चूसता हैं, इसके कारण पत्तिायां पीली पड जाती हैं। और ज्यादा प्रकोप के कारण पौधा सूख कर नष्ट हो जाता हैं।

प्रबंधन

इसकी रोकथाम हेतु डाइकोफॉल 5 ईसी. की 2.0 मिली मात्रा प्रति लीटर अथवा घुलनशील गंधक 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करना इसका उचित उपाय है।

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