भौगोलिक संकेत का मामला: बासमती टैग पंजाब और मध्य प्रदेश के बीच टकराव शुरू

भौगोलिक संकेत का मामला: बासमती टैग पंजाब और मध्य प्रदेश के बीच टकराव शुरू
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Kisaan Helpline

Agriculture Aug 10, 2020

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश और पंजाब की सरकारें बासमती चावल की जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) टैगिंग को लेकर असहमत हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने राज्य के 13 जिलों में लंबे समय से अनाज वाले चावल के लिए जीआई टैग के लिए एमपी सरकार को धक्का देने का विरोध किया है। शिवराज सिंह चौहान सरकार ने बुधवार को कई ट्वीट कर इसकी तीखी आलोचना करते हुए कहा कि जीआई टैगिंग से निर्यात बढ़ेगा और राज्य ने लंबे समय से बासमती का उत्पादन किया है।

जीआई टैग उन उत्पादों को दिया जाता है जिनमें उनके मूल स्थान के कारण विशिष्ट गुण होते हैं। कहीं और उत्पादित समान उत्पादों को नाम का उपयोग करने की अनुमति नहीं है। जीआई टैग किए गए भारतीय उत्पादों के उदाहरण दार्जिलिंग चाय, सलेम फैब्रिक, चंदेरी साड़ी और मैसूर सिल्क हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री ने 5 अगस्त को प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर कहा था कि भारत एक साल में 33,000 करोड़ रुपये की बासमती का निर्यात करता है, और भारतीय बासमती के पंजीकरण में किसी भी तरह की कमजोर पड़ने से पाकिस्तान को फायदा मिल सकता है।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि जीआई टैगिंग मध्य प्रदेश के किसानों के लिए गर्व की बात है और वर्षों से उनकी मेहनत को मान्यता, इसे पंजाब बनाम मध्य प्रदेश की तकरार में नहीं बनाया जाना चाहिए। माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म पर चौहान ने कहा, जीआई टैगिंग आवंटन से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बासमती की कीमतों में स्थिरता आएगी और हमारे निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीई) का मामला है।

पंजाब के मुख्यमंत्री ने पीएम को लिखे अपने पत्र में कहा था कि मध्य प्रदेश ने पहले 2017-18 में बासमती की खेती के लिए जीआई टैग लगवाने का प्रयास किया था। उन्होंने एक प्रेस स्टेटमैन में कहा, वस्तुओं के भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम 1999 के तहत गठित रजिस्ट्रार ऑफ जियोग्राफिकल इंडिकेशन (आरजीआई) ने मामले की जांच के बाद मध्य प्रदेश की मांग को खारिज कर दिया।

सिंह ने कहा, भारत सरकार के बौद्धिक संपदा अपीलीय बोर्ड ने भी इस संबंध में मध्य प्रदेश के दावे को खारिज कर दिया था। बाद में मध्य प्रदेश ने इन फैसलों को मद्रास हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। इसके अलावा मध्य प्रदेश को अपनी बासमती के लिए जीआई टैग दिलाने के दावे पर गौर करने के लिए भारत सरकार ने प्रख्यात कृषि वैज्ञानिकों की एक समिति भी गठित की थी, जिसने गहन विचार-विमर्श के बाद राज्य के दावे सिंह बिंदु (सिंह बिंदु) को भी खारिज कर दिया था।

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