Agriculture News: मध्यप्रदेश में मानसून एक बार फिर सक्रिय हो गया है। पिछले चार-पांच दिनों से सक्रिय मानसून के कहर से फसलें बर्बाद हो गई हैं। भारी बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है। बताया जा रहा है मानसून के दोबारा सक्रिय होने से किसानों के सपने चकनाचूर हो गए। बारिश के कारण उड़द और मूंग की 80 फीसदी फसल बर्बाद हो गई है। बर्बाद फसल को देखकर किसानों की आंखाें में आंसू झलक पड़े।
पिछले दिनों हुई बारिश से उड़द की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। तैयार खड़ी फसल की फलियाँ अंकुरित हो गई हैं। इसी तरह सोयाबीन की फसल को भी नुकसान हो रहा है। अब किसान फसल बीमा और मुआवजा राशि की मांग कर रहे हैं। दो दिनों से रुक-रुक कर भारी बारिश हो रही है और खेतों में पानी भर गया है। बारिश से सबसे ज्यादा नुकसान उड़द की फसल को हुआ है, क्योंकि फसल तैयार खड़ी थी, जिसकी कटाई और मड़ाई होनी थी, लेकिन बारिश के कारण खेतों के अंदर पहुंचना मुश्किल हो रहा है। पानी के कारण फलियों के अंदर के दाने अंकुरित हो गए हैं, जिससे दाने खराब हो जाएंगे।


मंदसौर जिले के ग्राम धमनार निवासी किसान गोवर्धनलाल जी ने बताया कि खेत में उड़द की फसल कट चुकी है, जिसकी फलियाँ अंकुरित हो चुकी हैं। फसल पर हजारों रुपये खर्च हो गये, लेकिन अब कुछ हासिल होने की उम्मीद नहीं है। वहीं 90 दिन की सोयाबीन की फसल भी तैयार है, लेकिन कटाई नहीं होने से फलियां गिरने लगी हैं। लगातार बारिश से फसलें सड़ रही हैं और किसानों को लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ेगा। किसान का कहना है की अगस्त में महीने में बारिश नहीं हुई जिसके वजह से फसलों का जो उत्पादन निकलना था वो नहीं निकलेगा और अब जब फसल कटाई की अवस्था में हैं तो अब बारिश ने पूरा खेल बिगाड़ दिया।
फसल को लगा दो बार झटका
उड़द की फसल को पकने में 70 दिन का समय लगता है। इन 70 दिनों में उड़द की फसल को दो बार झटका लगा। पूरे अगस्त महीने में बारिश न होने से फसल को नुकसान हुआ, लेकिन बाद में हुई बारिश को फसल सहन नहीं कर सकी। मानसून फिर सक्रिय हो गया है। बारिश रुक गई है, लेकिन खेतों में काफी नमी है।