वर्तमान समय देश में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि अपना कहर बरपा रही है। देश में कहीं भारी बारिश तो कहीं ओलावृष्टि हो रही है, इसके चलते किसान अपनी फसलों को लेकर बहुत चिंतित है। तेज हवा, बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से किसानों की लाखों रूपये की फसल बर्बाद हो गयी है। वर्तमान समय में रबी फसलों की कटाई का दौर चल रहा है। किसानों के सामने इस समय बहुत बड़ा संकट यह है की अगर किसान फसल नहीं काटे तो खेत में ही बारिश और ओलावृष्टि से नुकसान का खतरा है और यदि फसल की कटाई भी कर ले तो उसे रखें कहा ये भी बहुत बड़ी समस्या बनी रहती है। इस समय मध्यप्रदेश से बहुत ही बुरी तस्वीर सामने आई है। यहाँ बड़ी मात्रा में बारिश और ओलावृष्टि से किसानों की फसल को नुकसान हुआ है।
25 फीसदी फसल बर्बाद पूरे मध्य प्रदेश में
देश के कई राज्यों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि हो रही है, इसी के चलते मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में बारिश के कारण गेहूं की फसल बुरी तरह से प्रभावित हुई है। खबरों के मुताबिक भारी बारिश और तेज हवाओं की वजह से जिलें के अंदर हजारों हेक्टेयर में लगी गेहूं की फसल तेज हवा चलने से नष्ट हो गई। हालांकि सरकार के आदेश के बाद अब जिले में नुकसान का आकलन करने के लिए सर्वे का काम किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक पूरे मध्य प्रदेश में बारिश से 25 फीसदी फसल बर्बाद हो गई है।
सर्वे शुरू, दिया जायेगा उचित मुआवजा
खबरों के मुताबिक प्रशासन और कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आदेश पर सर्वे शुरू करा दिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि सर्वे में इस बात का पूरा ख्याल रखा जाएगा कि किसी किसान को नुकसान न हो। यानी जिन किसानों की फसल खराब हुई है, उन्हें मुआवजा दिया जाएगा।
32 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से मिलेगा मुआवजा
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहले ही घोषणा कर चुके है की जिन किसानों की बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से फसल ख़राब हुई है उन्हें मुआवजा दिया जायेगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा करते हुए कहा था की 50 प्रतिशत से अधिक नुकसान होने पर 32 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा दिया जायेगा और फसल बीमा भी अलग से दिया जायेगा। वही अगर देश के अन्य राज्यों की बात करें तो उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, राजस्थान समेत कई राज्यों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से किसानों को बहुत ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है।