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हिमाचल प्रदेश (शिमला) - साल का दिसंबर आधा बीत जाने के बावजूद पर्याप्त बारिश और बर्फबारी न होने के कारण क्षेत्र में सूखे की स्थिति बनी हुई है, जिसकी वजह से बागवानी और कृषि संबंधी कार्यो में देरी हो रही है। ठियोग के क्षेत्र में डेढ़ माह से नाम मात्र की बारिश हुई है, जिसके कारण जमीन में कम नमी की वजह से बागवान सेब के पौधों के तौलिये नहीं कर पा रहे हैं। बारिश न होने से उत्पन्न सूखे की स्थिति के कारण बागवान सेब के पौधों की जड़ों की उलिया फीड नामक बीमारी की रोकथाम के लिए चूने और नीले थोथा की लिपाई नहीं कर पा रहे हैं। बागवान गोबर व अन्य रासायनिक खाद डालने के लिए भी बारिश की राह देख रहे हैं। दो दिन से क्षेत्र में बादलों के आने से बारिश की उम्मीद जागी है, लेकिन बर्फबारी होने के लिए ठंड और अनुकूल वातावरण फिलहाल दिखाई नहीं दे रहा है।
सेब से जुड़े उपकरणों की बिक्री पर भी बारिश न होने का असर साफ दिखाई पड़ रहा है। बागवानी संबंधी उपकरण बेचने वाले व्यापारी वरुण मल्होत्रा के अनुसार पिछले साल की तुलना में इस साल सेब के तौलिये करने वाले उपकरणों की बिक्री न के बराबर हो रही है। वरुण के अनुसार बागवान रोजाना उपकरण देखने तो आ रहे हैं लेकिन बारिश न होने की वजह से बागवानों में खरीद के लिए उहापोह की स्थिति बनी हुई है।
ऊपरी शिमला में सेब आर्थिकी का सबसे मजबूत आधार है, बारिश और बर्फबारी न होने से बागवानी संबंधी कार्य समय पर नहीं हो पाते हैं, जिसका सीधा असर फसल पर पड़ता है। पिछली सर्दियों में कम बर्फबारी और बारिश होने की वजह से इस साल सेब की फसल में पचास फीसद की कमी रिकॉर्ड की गई थी। बागवानी के लिए बारिश और बर्फ का गिरना बहुत जरूरी है। कृषि करने वाले किसान भी बारिश और बर्फ का इंतजार कर रहे हैं। वहीं, जमीन के सख्त होने के कारण किसान आने वाली फसलों के लिए खेत तैयार नहीं कर पा रहे रहें हैं।
इस समय मटर की बिजाई का उपयुक्त समय चल रहा है, लेकिन बारिश नहीं होने से कार्य प्रभावित हो रहा है। मौसम विभाग ने प्रदेश में बारिश होने की संभावना जताई गई थी, लेकिन आसमान में बादलों के आने और बिना बारिश के वापस जाने से किसान-बागवान निराश हैं।
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