आज कई युवा खेती के क्षेत्र में नए उदाहरण पेश कर रहे हैं। वह नया मुनाफा कमाने और खेती को अपनाकर लाखों रुपये कमाने पर काम कर रहा है। अविनाश कुमार ने एक ऐसा ही उदाहरण पेश किया है, जो उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मौलवी बाजार का रहने वाला है। आज अविनाश सभी क्षेत्रीय किसानों के साथ-साथ युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन रहे हैं। इससे पहले अविनाश 6 साल तक राज्य पुलिस में सिपाही भी रह चुका है। वह हमेशा कुछ नया देखना चाहते थे और यही कारण है कि बाद में उन्होंने पुलिस की नौकरी छोड़ दी और कुछ अलग करने की सोची। अविनाश कुमार ने कृषि के क्षेत्र में नई संभावनाओं की खोज शुरू की और नए प्रयोग करने के बारे में सोचना शुरू किया। आज वह औषधीय खेती करके लाखों रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं।
औषधि की खेती
अविनाश का मानना था कि पारंपरिक खेती की लागत अधिक है और मुनाफा काफी कम है, इसलिए उन्होंने सोचा कि वह पारंपरिक खेती नहीं करेंगे। इसीलिए उन्होंने औषधीय फसल उगाने के बारे में सोचा और औषधीय फसलों के संरक्षण के उद्देश्य से जड़ी-बूटियों की खेती शुरू की। किसानों के साथ मिलकर 2015 में 1 एकड़ में कौंच की खेती शुरू करने वाले अविनाश कुमार ने अब 25 एकड़ की खेती कर रहे है। उन्होंने इसके लिए 4 वर्षों तक अथक परिश्रम किया है, इससे न केवल उन्होंने लाभ कमाया है, बल्कि वे साथी किसानों के साथ पानी के स्थानों में ब्राह्मी, मंडुकपर्णी और वच की खेती करने के लिए भी काम कर रहे हैं। इसके जरिए किसान खुद दो से तीन लाख के बीच आसानी से कमा लेते हैं।
सात राज्यों में खेती कर रहे किसान
उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, हिमाचल और छत्तीसगढ़ सहित सात राज्यों के 1500 से अधिक किसानों ने अलग-अलग जलवायु पर खेती करने के अलावा, ब्राही, मंडकूपर्णी, वच, तुसली, कालमेघ, कौंच, भुई आंवला, कूठ, कुटकी समेत कई तरह की औषधी फसलों की खेती करने का कार्य कर रहे हैं। आज कुल 50 एकड़ क्षेत्र में तुलसी की खेती का काम किया जा रहा है, जिससे 350 से 400 क्विंटल तुलसी का उत्पादन हो रहा है। इसी तरह, 50 एकड़ कौंच की फसल भी ली जा रही है इससे 150 क्विंटल तक का उत्पादन हो जाता है। कुल 800 एकड़ कृषि भूमि पर यह उगाई जा रही है।