मचान खेती करने की एक ऐसी विधि है जिसमें कद्दू वर्गीय व लता वर्ग की सब्जियों को बांस के लट्ठे, पतले तार, खूंटे व नारियल की रस्सी के द्वारा मचान बनाकर उगाया जाता है तथा सहफसली खेती के रूप में प्याज व लहसुन आदि की फसलों को भी लगाया जाता है।
मचान विधि में बोई जाने वाली फसलें हैं सेम, लौकी, तुरई, करेला, खीरा, परवल व लोबिया तथा मचान के नीचे उगाई जाने वाली सब्जियां हैं प्याज, पालक, चौलाई, मूली, गाजर, टमाटर, बैंगन, मिर्च, शिमला मिर्च, मटर, शलजम, बंदगोभी आदि।
मचान विधि में 500 वर्ग मीटर में 2 x 2 मीटर पर बांस के खंभे खड़े करते हैं। फिर खंभे के ऊपर तार के जाल बनाते हैं। इसमें जनवरी माह में प्याज की रोपाई करते हैं। इसके बाद जनवरी के अंत में खंभे के किनारे लौकी के पौधों की रोपाई करते हैं।
मचान बनाने का तरीका
इन सब्जियों में सहारा देना अति आवश्यक होता है सहारा देने के लिए लोहे की एंगल या बांस के खम्भे से मचान बनाते है। खम्भों के ऊपरी सिरे पर तार बांध कर पौधों को मचान पर चढ़ाया जाता है। सहारा देने के लिए दो खम्भो या एंगल के बीच की दूरी दो मीटर रखते हैं लेकिन ऊंचाई फसल के अनुसार अलग-अलग होती है सामान्यता करेला और खीरा के लिए चार फीट लेकिन लौकी आदि के लिए पांच फीट रखते है।