इस माह में पाला पड़ने की पूरी संभावना रहती है, अतः संवेदनशील फसलें जैसे सरसों, आलू, मटर, टमाटर, बैंगन इत्यादि को पाले से बचाने हेतु खेत की मेड़ों पर धुँआ करें या सिंचाई करें या गंधक के तेज़ाब (सान्द्रता 90 प्रतिशत) को एक मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। किसान भाई फसल में हल्की सिंचाई कर संध्या समय पर धुआँ करें । चने में फली छेदक कीट की रोकथाम हेतु उपचार की तैयारी करें।
गेहूँ व जौ में जस्ते की कमी होने पर 5 किलोग्राम जिंक फॉस्फेट तथा 2.5 किलोग्राम चूने को 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
गेहूँ में फुटान या तने में गाँठ की अवस्था पर सिंचाई करें।
गेहूं की 40 से 45 दिनों की फसल में कल्ले निकलने शुरू हो जाते हैं। इस समय गेहूं की फसल में दूसरी सिंचाई के लिए सर्वोत्तम है। खेत में यदि खरपतवारों की समस्या हो रही है तो इस पर नियंत्रण के लिए निराई-गुड़ाई करें।
सरसों में फूल बनने के पश्चात कीट नियंत्रण हेतु जैविक छिड़काव करें।
सरसों की फसल में झुलसा एवं सफेद रोली रोग के लक्षण प्रकट होने पर ब्लाईटोक्स 50 या मेन्कोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल का छिड़काव करें।
इस महीने में सरसों की फसल में फलियां बननी शुरू हो जाती है. ऐसे समय में सिंचाई करना बेहद जरूरी है। सिंचाई करने से दाने मोटे होते हैं और फलियों में दानों की संख्या में भी बढ़ती है।
‘फल मक्खी' का बेर में नियंत्रण हेतु मेलाथियान 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें।
आम, अमरूद व अनार में 'मिलीबग' कीट का प्रकोप दिखाई देने उपचार की तैयारी करें।
पॉली हाउस में कद्दूवर्गीय सब्जियों की पौध तैयार करें व मौसम पूर्व सब्जी उत्पादन लें।
लो टनल में सब्जी उगाकर पाले से बचाव कर मौसम पूर्व सब्जी उत्पादन लें।
तरबूज : तरबूज की अगर बात करें, तो इसका फल गर्मियों के महीने में लगना शुरू होता है, लेकिन तरबूज की नर्सरी तैयार करने के लिए जनवरी महीना सर्वोत्तम है। इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी का चयन करें. स्वस्थ पौधे प्राप्त करने के लिए नर्सरी में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
नोट:जैविक खेती करने वाले किसान भाई जैविक कीटनाशकों या देशी कीटनाशक का प्रयोग करें।