Agriculture Advisory: कृषि वैज्ञानिकों ने जारी की एडवाइजरी, किसान भाई रखें इन बातों का विशेष ध्यान

Agriculture Advisory: कृषि वैज्ञानिकों ने जारी की एडवाइजरी, किसान भाई रखें इन बातों का विशेष ध्यान
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Kisaan Helpline

Agriculture Jul 05, 2022

खड़ी फसलों व सब्जी नर्सरी में जल निकास का रखें उचित प्रबंधन
वर्षा के पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए सभी किसानों को सलाह है की खड़ी फसलों व सब्जी नर्सरी में जल निकास का उचित प्रबंधन रखे।

धान की खेती
धान की नर्सरी यदि 20-25 दिन की हो गई हो तो तैयार खेतों में धान की रोपाई शुरू करें| पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 सेमी तथा पौध से पौध की दूरी 10 सेमी रखें। उर्वरकों में 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश और 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट/हैक्टर की दर से डाले, तथा नील हरित शैवाल एक पेकेट/एकड़ का प्रयोग उन्ही खेतो में करें जहाँ पानी खड़ा रहता हो, ताकि मृदा में नाइट्रोजन की मात्रा बढाई जा सकें। धान के खेतों की मेंडो को मजबूत बनाये। जिससे आने वाले दिनों में वर्षा का ज्यादा से ज्यादा पानी खेतों में संचित हो सके।
धान की पौधशाला मे यदि पौधों का रंग पीला पड रहा है तो इसमे लौह तत्व की कमी हो सकती हैं। पौधों की यदि ऊपरी पत्तियॉ पीली और नीचे की हरी हो तो यह लोंह तत्व की कमी को दर्शाता है। इसके लिए 0.5 % फेरस सल्फेट +0.25 % चूने के घोल का छिडकाव आसमान साफ होने पर करें।

इस सप्ताह शुरू कर सकते है मक्का की बुवाई
मृदा में पर्याप्त नमी को ध्यान में रखते हूये किसान इस सप्ताह मक्का की बुवाई शुरु कर सकते है। संकर किस्में ए एच-421 व ए एच-58 तथा उन्नत किस्में पूसा कम्पोजिट-3, पूसा कम्पोजिट-4 की बुवाई शुरु कर सकते है। बीज की मात्रा 20 किलोग्राम/हैक्टर रखें। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60-75 से.मी. तथा पौधे से पौधे की दूरी 18-25 से.मी. रखें। मक्का में खरपतवार नियंत्रण के लिए एट्राजिन 1 से 1.5 किलोग्राम/ हैक्टर 800 लीटर पानी में घोल कर छिडकाव करें।

अरहर की बुवाई के लिए उन्नत किस्मों का करें चयन 
कम समय में पकने वाली अरहर की किस्मों (पूसा 991, पूसा 992, पूसा 2001, पूसा 2002) की बुवाई 10 जुलाई तक मृदा में पर्याप्त नमी को ध्यान में रखते हूये की जा सकती है। बीज किसी प्रमाणित स्रोत से ही खरीदें। किसानों से यह सलाह है कि वे बीजों को बोने से पहले अरहर के लिए उपयुक्त राईजोबियम तथा फास्फोरस को घुलनशील बनाने वाले जीवाणुओं (पी एस बी) फँफूद के टीकों से अवश्य उपचार कर लें। इस उपचार से फसल के उत्पादन में वृद्धि होती है।

चारे के लिए ज्वार की बुवाई के लिए अनुकूल है यह समय
यह समय चारे के लिए ज्वार की बुवाई के लिए उप्युक्त हैं अतः किसान पूसा चरी-9, पूसा चरी-6 या अन्य सकंर किस्मों की बुवाई मृदा में पर्याप्त नमी को ध्यान में रखते हूये कर सकते है। बीज की मात्रा 40 किलोग्राम/हैक्टर रखें। लोबिया की बुवाई का भी यह उप्युक्त समय है।

सब्जीवर्गीय खेती हेतु विशेष सलाह
इस मौसम में किसान खरीफ प्याज, लोबिया, भिंडी, सेम, पालक, चोलाई आदि सब्जियों की बुवाई मृदा में पर्याप्त नमी को ध्यान में रखते हूये शुरू कर सकते है। बीज किसी प्रमाणित स्रोत से ही खरीदें |
कद्दूवर्गीय सब्जियों की वर्षाकालीन फसल की बुवाई करें लौकी की उन्नत किस्में पूसा नवीन, पूसा समृद्वि करेला की पूसा विशेष, पूसा दो मौसमी, सीताफल की पूसा विश्वास, पूसा विकास तुरई की पूसा चिकनी धारीदार, तुरई की पूसा नसदार तथा खीरा की पूसा उदय, पूसा बरखा आदि किस्मों की बुवाई मृदा में पर्याप्त नमी को ध्यान में रखते हूये कर सकते है।

बागवानी खेती हेतु विशेष सलाह
फलों के नऐ बाग लगाने वाले गड्डों में गोबर की खाद मिलाकर 5.0 मि.ली. क्लोरपाईरिफाँस एक लीटर पानी में मिलाकर गड्डों में ड़ालकर गड्डों को पानी से भर दे ताकि दीमक तथा सफेद लट से बचाव हो सके।
देशी खाद (सड़ी-गली गोबर की खाद, कम्पोस्ट) का अधिकाधिक प्रयोग करें ताकि भूमि की जल धारण क्षमता और पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ सके। मृदा जाचँ के उपरांत उवर्रको की संतुलित मात्रा का उपयोग करें खासतौर पर पोटाश की मात्रा बढ़ाएं ताकि पानी की कमी के दौरान फसल की सूखे से लड़ने की क्षमता बढ़ सके। वर्षा आधारित एवं बारानी क्षेत्रों में भूमि मे  नमी संचयन के लिए पलवार(मलचिंग) का प्रयोग करना लाभदायक होगा।

स्त्रोत : भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्‍ली

सलाहकार समिति के वैज्ञानिक   
डा. अनन्ता वशिष्ठ (नोड़ल अधिकारी, कृषि भौतिकी संभाग)
डा.प्र. कृष्णन (अध्यक्ष, कृषि भौतिकी संभाग)  
डा.देब कुमार दास (प्रधान वैज्ञानिक, कृषि भौतिकी संभाग)
डा.बी.एस.तोमर (संयुक्त निदेशक प्रसार (कार्यवाहक) एवं अध्यक्ष, सब्जी विज्ञान संभाग)
डा.जे.पी.एस. ड़बास (प्रधान वैज्ञानिक व इंचार्ज, केटेट)
डा.दिनेश कुमार (प्रधान वैज्ञानिक, सस्य विज्ञान संभाग)
डा.पी.सिन्हा (प्रधान वैज्ञानिक, पादप रोग संभाग)
डा. सचिन सुरेश सुरोशे (प्रधान वैज्ञानिक, कीट विज्ञान संभाग)

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