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अब बंजर भूमि पर
सेब की विशेष प्रजाति को पैदा किया जाएगा, यह सुनने में थोड़ा आपको
आश्चर्य लगेगा लेकिन यह सच बात है. इस पर प्रयोग किया है गोरखपुर के रहने वाले
प्रगतिशील किसान अवनीश कुमार ने। दरअसल उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश से आने वाला
अन्ना प्रजाति का हरा सेब अब गोरखपुर की बंजर पड़ी भूमि में पैदा होगा. अवनीश की
पौधशला में तीन साल पहले सेब के पेड़ को लगाया गया था जिस पर अब पहली बार फल लग
रहे है. इसीलिए अवनीश को उम्मीद है कि इस बार भले ही 15 से 20 किलों सेब न बच पाए
हो, लेकिन प्रयोग सफल हुआ तो आने वाले दिनों में इस क्षेत्र की
बंजर भूमि पर सेब के पूरे भरपूर बगीचे नजर आएंगे.
किसानों को किया
प्रेरित
पेशे से गोरखपुर
के रहने वाले अवनीश इससे पहले पुलिस में नौकरी करते थे लेकिन खेती-किसानी में पूरी
तरह से रम चुके प्रगतिशील किसान अवनीश कुमार एक बाजार में रहते है. उन्होंने उत्तर
प्रदेश के कई किसानों को औषधीय फसलों के लिए पूरी तरह से प्रेरित किया है और अपनी
जीवन शैली को बदलने वाले अवनीश ने पूर्वाचल में सेब की नई किस्म को उगाने का बीड़ा
उठाया है. उन्होंने अपनी नर्सरी में अन्ना प्रजाति के हरे सेब लगाने के साथ ही
उन्होंने एक पौधशाला को भी तैयार किया है. आज से ठीक तीन साल पहले लगाए गए पेड़ पर
इस बार न केवल फूल और फली उगी है बल्कि काफी अच्छी मात्रा मे फल प्राप्त हुए है.
अवनीश ने बताई
जानकारी
किसान अवनीश
बताते है कि तीन साल पहले वह उत्तराखंड से सेब का पौधा लेकर आए थे. उनका मानना था
कि अगर वहां की पथरीली जमीन पर सेब के पौधे आसनी से फल दे सकते है तो गोरखपुर समेत
पूर्वाचल यूपी के कई इलाकों में बंजर पड़ी सैकड़ों एकड़ जमीन पर सेब के पौधे लहलहा
सकते है. इसीलिए सबसे पहले उन्होंने अपनी पौधशाला में सेब का पेड़ लगाया जो इस बार
भी आसानी से फल देने को तैयार है. अविनाश कहते है कि यहां पर सेब की अच्छी पैदावार
होने लगे तो फिर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से सेब को मांगाने की जरूरत नहीं
होगी.इससे आम लोगों को सबसे स्वादिष्ट और अच्छे फल तो मिलेंगे ही साथ ही साथ बेकार
पड़ी भूमि पर भी सेब की बेहतर फसल होगी. इतना ही नहीं है अगर पॉली हाउस के जरिए
तापमान को नियंत्रित करने का ठीक तरह से इंतजाम कर लिया जाए तो अन्ना प्रजाति का
यह सेब हिमाचल प्रदेश के सेब से भी अधिक लाल हो सकता है.
अवनीश ने उत्तर
प्रदेश समेत कई राज्यों में किसानों को तुलसी, केवाच जैसी औषधीय खेती के
लिए प्रोत्साहित करने के साथ उनकी फसल जीवनशैली बदलने वाले अविनाश ने अगले साल
गोरखपुर के पिपराइच और बंजर जमीन पर
लगाने के लिए किसानों से पूरी तरह से संपर्क शुरू कर दिया है.
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