हैदराबाद. देश में पहली बार दो नदियों को जोड़ने का सपना बुधवार को आंध्र प्रदेश में पूरा हुआ। यहां कृष्णा और गोदावरी नदियों को आपस में जोड़ दिया गया। देश के लिहाज से भी यह बड़ी कामयाबी है, क्योंकि लंबे समय से यहां नेशनल वाटर ग्रिड बनाने की कोशिश हो रही है। बुधवार को गोदावरी नदी से पोलावरम नहर के जरिए 80 टीएमसी पानी कृष्णा नदी में छोड़ा गया।
कब हुई थी पहली कोशिश
देश में नदियों को जोड़ने की पहली कोशिश सबसे पहले करीब 200 साल पहले ब्रिटिश इंजीनियर सर आर्थर काटन ने की थी। आर्थर धोलाश्वेरम से निकलने वाली गोदावरी को विजयवाड़ा की कृष्णा नदी से जोड़ना चाहते थे। इसके बाद फेमस इंजीनियर के.एल. राव ने 1950 में पहली बार नदियों को जोड़ने के प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया। अटल बिहारी वाजपेयी
जब देश के प्रधानमंत्री बने, तब भी इस प्रोजेक्ट पर काम करने की कोशिश हुई, लेकिन बाद में इसकी रफ्तार कम हो गई।
आगे क्या प्लान
आंध्र प्रदेश की चार बड़ी नदियों को आपस में जोड़ा जाएगा। गोदावरी-कृष्णा, कृष्णा-पेन्नार और पेन्नार-तुंगभद्रा। देशभर में 30 नदियों को जोड़ने के प्लान पर काम तेज होगा। आंध्र प्रदेश के बाद मध्य प्रदेश और उत्तर प्रेदश की केन व बेतवा नदियों को जोड़ा जाएगा।
नायडू ने आठ महीने में पूरा किया प्रोजेक्ट
नेशनल वाटर ग्रिड प्लान में केन-बेतवा प्रोजेक्ट सबसे ऊपर था, लेकिन आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने कृष्णा-गोदावरी प्रोजेक्ट पर तेजी से काम किया और आठ महीने के रिकॉर्ड टाइम में इसे पूरा कर दिया।
किसको होगा फायदा
कृष्णा, गुंटूर, प्रकाशम, कुर्नूल, कडप्पा, अनंतपुर और चित्तूर जिले के किसानों को इससे फायदा होगा। करीब 17 लाख एकड़ (13 लाख एकड़ कृष्णा डेल्टा में) जमीन पर दो फसलों की सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। इसके अलावा, सैकड़ों गांवों तक पीने का पानी पहुंचेगा।
तीन राज्यों का विवाद
गोदावरी नदी पर बन रहे पोलावरम डैम को लेकर तीन राज्यों में विवाद है। तेलंगाना, ओडिशा और आंध्र प्रदेश, तीनों राज्य इस डैम से ज्यादा पानी लेना चाहते हैं। जबकि केंद्र सरकार इसे नेशनल प्रोजेक्ट बताती है, लेकिन राज्यों के विरोध की वजह से यह मामला अब तक पेंडिंग है। इस डैम के बन जाने से ईस्ट गोदावरी और विशाखापट्टनम जिलों को भी फायदा होगा