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रतलाम/मंदसौर
22 दिन की लंबी खेंच के बाद बादल मेहरबान हुए। सुबह से रात तक ऐसे बरसे कि खेतों में दम तोड़ती फसलें लहलहा उठीं। किसानों के चेहरे खिल उठे। चिंता की सारी लकीरें धुल गईं। मंदसौर सहित समूचे मालवा-निमाड़ में लगातार 14 घंटे से बादल बरस रहे हैं। कहीं रिमझिम तो कहीं तेज बारिश सिलसिला जारी रहा। मंदसौर, रतलाम व शाजापुर में झमाझम बारिश हुई।
मंदसौर जिला बारिश से तरबतर हो गया। शहर में सुबह 4 से शाम 5 बजे तक 13 घंटे में ढाई इंच बारिश हो गई। अब तक जिले में 7.4 इंच बरसात हुई है। सबसे ज्यादा 11 इंच गरोठ में और सबसे कम मंदसौर में 4.4 इंच बरसात हुई है। पिछले साल जिले में केवल 2.6 इंच बरसात हुई थी। उपसंचालक कृषि आरएल जमरा ने बताया जिले के 3 लाख 30 हजार रकबे में तीन दौर में बाेवनी हुई। सबसे ज्यादा सोयाबीन 2 लाख 81 हजार हेक्टेयर में बोवनी की गई है। दो-चार दिन और पानी नहीं आता तो मंदसौर, मल्हारगढ़ के 60 प्रतिशत हिस्से में फिर बोवनी के हालात बन जाते।
नीमच जिले में दिनभर में 1 इंच बारिश दर्ज की गई। अब तक जिले में पांच इंच बारिश दर्ज हो चुकी है। पिछले साल इस अवधि तक 4.5 इंच बारिश दर्ज हुई थी। नीमच विकासखंड में 60 हजार हेक्टेयर में बोवनी की गई है। बारिश की खेंच से 10 हजार हेक्टेयर में दोबारा बोवनी के आसार थे। ऐसे में 8 हजार क्विंटल बीज लगता जिससे किसानों को तकरीबन 4.50 लाख रुपए का नुकसान होता।
रतलाम िजले में सुबह 5 बजे बारिश शुरू हुई। सिलसिला रात तक जारी रहा। शहर में दिनभर में डेढ़ इंच बारिश दर्ज की गई। जिले में इस बार तीन लाख 54 हजार 500 हेक्टेयर में खरीफ की बोवनी हुई है। अगर दो-तीन और बारिश नहीं होती तो फसलों के सूखने की नौबत आ जाती और उत्पादन आधा रह जाता।
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि अगले तीन दिन तक पूरे प्रदेश में मौसम ऐसा ही बना रह सकता है। बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बना है। इसी वजह से बारिश हुई। अंचल में 22 जुलाई तक अच्छी बारिश की संभावना है।
राजगढ़|जिले के तलेन इलाके में भारी बारिश से घरों में पानी घुस गया। अपने क्वार्टर में पानी भरने पर सामान बाहर निकालता पुलिसकर्मी।
4-5 दिन देर हो जाती तो आधा रह जाता उत्पादन
मंदसौर उद्यानिकी काॅलेज के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जीएन पांडे ने बताया क्षेत्र में सभी स्थानों पर 20-25 दिन की फसल हो चुकी है। आमतौर पर सोयाबीन की फसल को अंकुरण के बाद 20 दिन तक पानी नहीं मिलने पर परेशानी नहीं होती है। दो-चार दिन और बारिश नहीं होती तो प्रभावित क्षेत्रों का सोयाबीन का उत्पादन आधा रह जाता।
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