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सफल लोग कुछ अलग नहीं करते, अलग तरह से काम करते हैं। संग्रामपुर प्रखंड के सरैया बडौरा निवासी चंद्रकिशोर मिश्र और मीना मिश्रा के छोटे पुत्र धीरज ने भी पूर्वी चंपारण जिले के अंतर्गत कुछ ऐसा ही किया। उन्होंने न केवल समृद्धि की राह पर चलने के लिए औषधीय पौधों की खेती शुरू की, बल्कि दर्जनों युवाओं को रोजगार सृजन का रास्ता बताया। वे नियमित रूप से युवा लोगों को औषधीय और एकीकृत खेती के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
अब तक उनके गिरोह में सक्रिय रूप से काम करने वाले लोगों की संख्या 55 से 110 है। धीरज की टीम सूबे के अन्य जिलों में पट्टे पर जमीन लेकर औषधीय पौधों की खेती कर रही है। किसानों को प्रशिक्षित कर उन्हें खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। उनका मानना है कि गन्ने की खेती में लगे किसान खस व मेंथा की खेती करके एक एकड़ में तीन गुना अधिक लाभ कमा सकते हैं।
लोगों को रोजगार मिल रहा है
धीरज और उनकी टीम मछली पालन, डेयरी, वर्मी कम्पोस्ट, जैविक खेती, बकरी पालन, मशरूम आदि का उत्पादन कर रही है और व्यावसायिक स्तर पर मेंथा और खस की खेती पर विशेष ध्यान दे रही है। पूर्वी चंपारण के अलावा, जो अन्य जिलों में खेती की जा रही है, गोपालगंज और छपरा में 55 युवाओं की टीम लगभग 50 एकड़ भूमि के पट्टे के साथ औषधीय पौधों की खेती कर रही है।
पूर्वी चंपारण के विभिन्न क्षेत्रों के किसान भी इसकी खेती को लेकर उत्साहित हैं। अभी साल के दस महीनों में 250 लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध हो रहा हैं, जिससे उनके परिवार का भरण-पोषण चल रहा है। यह आंकड़ा आने वाले दिनों में पांच सौ के पार जाने की उम्मीद है।
धीरज को दो दर्जन से अधिक पुरस्कार मिले
2012 में केंद्रीय औषधीय अनुसंधान केंद्र, लखनऊ से प्रशिक्षण लेने के बाद धीरज ने कुछ जमीनों पर औषधीय पौधों की खेती शुरू की। मुनाफे को देखते हुए वर्ष 2014 में व्यावसायिक रूप से इसकी खेती में जुट गए। पिता की 25 हजार की पूंजी के साथ, धीरज ने सिर्फ साढ़े चार साल में 25 से 30 लाख का कारोबार किया है। धीरज को आईसीएआर की ओर से राष्ट्रीय और झारखंड सरकार से राज्य स्तरीय पुरस्कार मिला है।
धीरज को राज्य में जिला स्तर पर आयोजित कृषि मेले में बेहतर उत्पादन के लिए दो दर्जन से अधिक पुरस्कार मिले हैं। आत्मा के परियोजना निदेशक रणवीर सिंह ने कहा कि किसान औषधीय खेती से जुड़े हैं। इससे ज्यादा मुनाफा होगा। फरवरी में जिले के विभिन्न क्षेत्रों के लगभग 40 किसानों को आत्मा द्वारा औषधीय खेती के प्रशिक्षण के लिए केंद्रीय औषधीय अनुसंधान केंद्र, लखनऊ भेजा गया था। कई किसानों ने इसकी खेती शुरू करने के लिए खेतों को तैयार करना शुरू कर दिया है।
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