कानपुर। देश के किसानों की आय को दोगुना करने के लिए, ताइवान का विश्व सब्जी केंद्र भारत को अधिक उपज देने वाली प्रजातियों को विकसित करने में मदद करेगा। इनमें ऐसी प्रजातियां शामिल होंगी, जिन्हें उत्पादन बेमौसम किया जा सकता है। किसी भी मौसम में उगाई जाने वाली इन सब्जियों में कैल्शियम, आयरन और प्रोटीन की मात्रा कम होती है।
चंद्रशेखर आजाद कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुशील सोलोमन ने कहा कि लगभग 10.3 लाख हेक्टेयर भूमि पर सब्जी की खेती की जा रही है। इसमें हर साल 175 लाख टन सब्जियों का उत्पादन होता है। भारत दुनिया में सब्जी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। लेकिन उचित भंडारण, प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन समय की कमी के कारण, सब्जी फसल के उत्पादन को उचित लाभ नहीं मिल सकता है। सब्जी की खेती को बढ़ावा देने के लिए अब ताइवान तकनीकी मदद करने के साथ प्रशिक्षण भी देगा।
चंद्रशेखर आजाद, कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के कुलपति प्रोफेसर सुशील सोलोमन, निदेशक अनुसंधान प्रोफेसर एचजी प्रकाश और संयुक्त निदेशक अनुसंधान डॉ. डीपी सिंह ने ताइवान का दौरा किया और विश्व सब्जी केंद्र के महानिदेशक डॉ. मार्को बोपेरेइस, उप निदेशक डॉ. डेविड जॉनसन, क्षेत्रीय निदेशक डॉ. श्रेनीवास रामासामी के साथ बातचीत की। प्रोफेसर सोलोमन ने कहा कि सीएसए खेतों में विकसित की गई प्रजातियों व शाक भाजी फसलों के सहयोगी बीज उत्पादन कार्यक्रम मॉड्यूल ताइवान में प्रस्तुत किया। इस मॉड्यूल को देखने के बाद, ताइवान वर्ल्ड वेजीटेबल सेंटर के निदेशक ने कहा कि इस मॉड्यूल के साथ, बीज की कमी को पूरा करने के साथ किसानों की आय में वृद्धि की जा सकती है। विश्व सब्जी केंद्र इस मॉड्यूल में अपनी कुछ उच्च गुणवत्ता वाली प्रजातियों को जोड़ेगा, जिससे उत्पादन में वृद्धि होगी।
विश्व सब्जी केंद्र के वैज्ञानिक भविष्य में सीएसए के साथ सहयोग करेंगें। वह सीएसए के एमएससी और पीएचडी के छात्रों को प्रशिक्षित भी देंगे। जिससे भारत में शाक भाजी फसलों के अधिक से अधिक विशेषज्ञ तैयार किए जा सकें।