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बाराबंकी, ये नाम सुनते ही आपको उत्तर प्रदेश एक ऐसा शहर याद आएगा जो राजय् की राजधानी लखनऊ के नजदीक होकर भी कुछ खास तरक्की नहीं कर सका। लेकिन अब यहां के किसान विदेशों फूलों की खेती से इस शहर का नई पहचान दे रहे हैंं।
आधुनिक खेती में नाम रोशन कर रहे बाराबंकी के किसानों ने विदेशी फूलों में भी नाम कमा रहा है। जरबेरा फूल की खेती में भी यह जिला सूबे में अव्वल है। फूल खेती के मामले में उद्यान विभाग की सर्वे रिपोर्ट में बाराबंकी प्रदेश में नंबर एक पर है। यहां जरबेरा फूल की खेती के पाली हाउस सर्वाधिक लगे हैं।
बाराबंकी में मेंथा, तुलसी, केला, टमाटर व अफीम की ,खेती से किसानों ने तरक्की की राह खोली है। चूंकि परंपरागत खेती में अब गिरावट आई है, इसलिए यहां के किसानों ने विदेशी फूल जरबेरा की खेती को अपना रहे हैं। अभी हाल में आई उद्यान विभाग की सर्वे रिपोर्ट में बाराबंकी टॉप पर है। यहां जरबेरा की खेती से किसानों की तस्वीर बदल रही है। यहां सर्वाधिक फूलों की खेती होती है। दूसरे नंबर पर मुजफ्फरनगर है। यहां के किसान एक एकड़ में जरबेरा के फूल से प्रति वर्ष छह से से सात लाख शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं। विभाग द्वारा जरबेरा की खेती करने के लिए लागत का 50 प्रतिशत अनुदान दे रहा है।
इन्हें मिला अनुदान का लाभ
जरबेरा खेती के लिए रामनगर के बेरिया निवासी राजकुमार वर्मा को पॉलीग्रीन हाउस स्थापित पर 14 लाख का अनुदान दिया। हाउस में वह गैरसीजन में भी पुष्प का उत्पादन कर रहे हैं। इसकी लागत 28 लाख 50 हजार रुपये आई। यहीं के श्रीकेशन को लागत का 24 लाख का अनुदान दिया। इन्होंने ने 49 लाख की लागत से पुष्प उत्पादन हाउस का निर्माण कराया। मसौली के सराय कायस्थान के निवासी राकेश कुमार ने पुष्प तैयार करने के लिए 31 लाख की लागत से ग्रीन हाउस बनवाया। जिन्हें 15 लाख का अनुदान मिला।
इन्होंने ने बनाया कीर्तिमान
जिले में सबसे पहले दफेदार पुरवा के कृषक मोइनुद्दीन ने पाली हाउस लगाकर जरबेरा की खेती शुरू की थी। कृषक की तस्वीर बदली और सैकड़ों किसान जरबेरा की खेती करने लगे। इसके बाद बेरिया निवासी संदीप वर्मा ने 31 लाख का एक और पॉलीहाउस तैयार किया है। आज इनके पास सैकड़ों कृषक फूलों की खेती सीख रहे हैं। यह प्रति वर्ष एक एकड़ में 6 से सात लाख रुपये फूलों से ही कमा रहे हैं। इन दोनों किसानों को मुख्यमंत्री द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है।
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