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इस वर्ष २०१६ सोयाबीन की खेती हेतु मानसून के आगमन को ध्यान में रखते हुए सोयाबीन कृषको को उपसंचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास द्वारा सलाह दी गई है की मानसून के आगमन के पश्चात् भूमि में पर्याप्त नमी (कम से कम 100 मि.मी. बरिश) होने की स्थिति में ही सोयाबीन की बोवनी करें। बोवनी के समय अनुशंसित बीजदर (60 से 75 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर) का प्रयोग करे। उपलब्ध सोयाबीन बीज की अंकुरण क्षमता की जांच करे जो कि न्यूनतम 70 प्रतिशत होनी चाहिये। इससे कम होने पर उसी अनुपात में बीजदर बढाकर बोवनी करें। विभिन्न रोगो से बचाव विशेषतः पीला मोजाइक बीमारी के लिये सुरक्षात्मक तरीके के रूप में बोवनी के समय सोयाबीन के अनुशंसित फफूंदनाशक थाइरस एवं कार्वन्डाजिम 2:1 अनुपात में (3 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज) उपचारित करने के तुरंत बाद अनुशंसित कीटनाशक थायोमिथाक्सम 30 एफएस (10 मि.ली.) या इमीडाक्लाप्रिड 48 एफएस (125 मि.ली. प्रति कि.ग्रा. बीज) से उपचारित करें। तत्पश्चात् राइजोवियम एवं पीएसबी का उपयोग करे।
जारी सलाह में उन्होने कहा है की किसान भाई वर्षा की अनिश्चितता एवं सूखे की समस्या के कारण सोयाबीन की फसल में होने वाली संभावित उत्पादन में कमी को देखते हुए बी.बी.एफ. सीडड्रिल एवं फर्ब्स सीडड्रिल का उपयोग कर सोयाबीन की बोवनी करे। इन मशीनों की उपलब्धता न होने पर सुविधा अनुसार 6 से 9 कतारों के पश्चात् नमी संरक्षण नालियां बनाये। सोयाबीन की बोवनी करते समय बीज की गहराई (अधिकतम 3 से.मी.) का उचित ध्यान रखें जिससे सोयाबीन का अंकुरण प्रभावित न हो। सोयाबीन की बोवनी हेतु अनुशंसित कतार से कतार की दूरी (30-45 से.मी) का प्रयोग करे। सोयाबीन की फसल में पोषण प्रबंधन हेतु अनुशंसित पोषक तत्वो की मात्रा (25,60,40 एवं 20 कि.ग्रा. प्रति हे0 क्रमशः नत्रजन, स्फुर, पोटास एवं गंधक) का उपयोग करे।
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