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वर्ष २०१६- किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग उपसंचालक श्री एस.के. धुर्वे ने कृषकों को सलाह दी है कि उनके पास उपलब्ध सोयाबीन बीज के अंकुरण का परीक्षण करने के उपरान्त ही बोनी करें। उन्होंने बताया कि बीज की 70 प्रतिशत से कम अंकुरण क्षमता को बीज की मात्रा बढ़ाकर बोनी करें। यदि अंकुरण क्षमता 50 प्रतिशत से कम होने पर बोनी में ऐसे बीज का उपयोग न करें।
सोयाबीन की फसल लेने के लिये खेत को बक्खर एवं पाटा चलाकर खेत तैयार करें। इसमें गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर 10 टन अथवा मुर्गी की खाद 2.5 टन प्रति हेक्टेयर के मान से खेत में फैलायें। बोनी के समय आवश्यक कृषि आदान जैसे उर्वरक, खरपतवार नाशक, फफुंदी नाशक, जैविक कल्चर आदि बाजार से क्रय करना सुनिश्चित करें। पीला मोजाईक बीमारी की रोकथाम के लिये कीट नाशक थ्योमिथाक्सम 30 एफ.एस. (10 मि.ली.प्रति कि ग्रा.बीज) का उपचार कर बोनी करें। सोयाबीन की बोनी वर्षा के उपरान्त मध्य जून से जुलाई के प्रथम सप्ताह में कर लें।
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