संतरा और मौसंबी के नुकसान की सरकार करेगी भरपाई

संतरा और मौसंबी के नुकसान की सरकार करेगी भरपाई
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Kisaan Helpline

Soil Dec 30, 2015

मुंबई. वन्य प्राणियों द्वारा संतरा और मौसंबी के फलबागों को नुकसान पहुंचने पर राज्य सरकार नुकसान भरपाई देगी। संतरा और मौसंबी के पेड़ों का नुकसान होने पर प्रति पेड़ 2400 रुपए नुकसान भरपाई दी जाएगी। सुअर, हिरण, नीलगाय, बंदर और जंगली हाथी जैसे वन्य प्राणियों द्वारा फलबागों को नुकसान पहुंचाने पर प्रभावित किसानों को नुकसान भरपाई मिलेगी।
प्रदेश सरकार के राजस्व व वन विभाग की ओर से यह निर्णय लिया गया है। हाल ही में इससे संबंधित शासनादेश जारी कर दिया गया है। शासनादेश में इस निर्णय को तत्काल लागू करने को कहा गया है।
विदर्भ को मिलेगा फायदा
इस निर्णय का सबसे अधिक फायदा विदर्भ के किसानों को मिलने की उम्मीद है। सरकार को सबसे ज्यादा विदर्भ से ही फलबाग से संबंधित शिकायतें मिल रही थी।
इन फलों पर ही लागू था नियम
अभी तक नारियल, सुपारी, आम और अन्य फलों के लिए यह निर्णय लागू था। सरकार ने दायरा बढ़ाते हुए इसमें संतरा और मौसंबी जैसे फलों को भी शामिल कर लिया है।
कृषि विश्वविद्यालयों के अधिकारियों व कर्मचारियों को मिलेगी ऑनलाइन पेंशन
राज्य के चार कृषि विश्वविद्यालयों के सेवानिवृत्त अधिकारियों और कर्मचारियों को पेंशन ऑनलाइन प्रणाली से दी जाएगी। इससे संबंधित शासनादेश वित्त विभाग की ओर से गत दिनो जारी कर दिया गया है। सरकार ने इस निर्णय को अमल में लाने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। समिति वित्त विभाग के प्रधान सचिव (वित्तीय सुधारणा) की अध्यक्षता में बनाई गई है। यह समिति कृषि विश्वविद्यालयों में चल रहे मौजूदा व्यवस्था में बदलाव करेगी। साथ ही ऑनलाइन प्रणाली को अमल में लाने के संबंध में आवश्यक निर्णय लेगी। इसके बाद राज्य के चारों कृषि विश्वविद्यालयों के सेवानिवृत्ति अधिकारियों और कर्मचारियों को ऑनलाइन पेंशन मिलने लगेगी। राज्य में 2012 से ही सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को ऑनलाइन पेंशन देने की व्यवस्था लागू है। लेकिन कृषि विश्वविद्यालयों के सेवानिवृत्ति अधिकारियों और कर्मचारियों को यह सुविधा नहीं मिल पा रही थी। इस कारण अब सरकार ने कृषि विश्वविद्यालयों में भी इसको लागू करने का निर्णय लिया है।
ये हैं चार विवि
- मराठवाड़ा कृषि विवि, परभणी।
- डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विवि, अकोला।
- महात्मा फुले कृषि विवि, राहुरी (अहमदनगर)
- डॉ. बालासाहेब सावंत, कोंकण कृषि विवि, दापोली, रत्नागिरी।

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