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प्रदेश में खरीफ की सबसे प्रमुख फसल सोयाबीन की बोवनी अब तक 37 लाख 32 हजार हेक्टेयर में की गई है. सामान्य या सामान्य से अधिक वर्षा वाले 42 जिले के किसानों ने मौसम का पूरा लाभ उठाया है. ज्यादातर जिलों में मौसम खुला होने से सोयाबीन की बोवाई तत्परता से की है.
विगत वर्ष इस अवधि में बोई गयी खरीफ फसलों की तुलना में बोवाई की दर अधिक है. प्रदेश के इंदौर, उज्जैन तथा भोपाल संभाग के ज्यादातर जिले, जबलपुर संभाग में छिंदवाड़ा जिला, सागर संभाग में दमोह जिला, होशंगाबाद संभाग में हरदा तथा बैतूल जिला बहुत तेजी से बोवाई पूरी करने की ओर है. वहीं कुछ जिले ऐसे भी हैं, जहाँ बोवाई की स्थिति नगण्य है. इन क्षेत्रों में ग्वालियर, चम्बल, रीवा और शहडोल संभाग के ज्यादातर जिले हैं. ये वही जिले हैं, जहाँ वर्षा की स्थिति कमजोर है. अब तक खाद्यान्न फसलें लगभग 11.11 लाख हेक्टेयर में बोई जा चुकी हैं. इनमें मक्का की बोवनी सर्वाधिक 7.39 लाख हेक्टेयर में हुई है. विभाग द्वारा मक्का की बोवाई का लक्ष्य इस वर्ष 11.50 लाख हेक्टेयर रखा गया है. इस प्रकार निर्धारित लक्ष्य से लगभग 64 प्रतिशत रकबे में मक्का बोई जा चुकी है. धान की बोवाई 2.49 लाख हेक्टेयर में हुई है. दलहन फसलों में 1.39 लाख हेक्टेयर में तुअर और 1.75 लाख हेक्टेयर में उड़द बोयी गयी है. प्रदेश में खरीफ की सबसे प्रमुख फसल सोयाबीन की बोवनी, इस वर्ष निर्धारित 56.50 लाख हेक्टेयर की तुलना में 37.32 लाख हेक्टेयर की गयी है, जो लक्ष्य का लगभग 66.1 प्रतिशत है. सोयाबीन के अतिरिक्त खरीफ मौसम में बोई जाने वाली अन्य तिलहनी फसलें- मूँगफली, तिल एवं रामतिल की बोनी मिलाकर तिलहन का 38.27 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बोया गया है. कपास की बोवनी 5.30 लाख हेक्टेयर में की गयी है, जो 85.5 प्रतिशत है. इस प्रकार सभी फसलें मिलाकर प्रदेश में अब तक 58.35 लाख हेक्टेयर में बोवाई हो चुकी है.
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