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एक पलास्टिक के ड्रम में नीचे लिखी पाँच चीजों को आपस में मिला लें.
10 किलो गोबर ( देशी गाय का, बैल का, या भैंस का )
10 लीटर मूत्र (देशी गाय का, बैल का, या भैंस का )
1 किलो गुड़ ( कैसा भी चलेगा, जो सड़ गया हो आपके उपयोग का ना हो तो वो ज्यादा अच्छा है )
अब इसमे 1 किलो पिसी हुई दाल या चोकर (कैसा भी चलेगा, आपके उपयोग का ना हो तो ज्यादा अच्छा )
और अंत मे डालनी है 1 किलो मिट्टी किसी भी पुराने पेड़ के नीचे की पीपल, बरगद .... (पीपल ,बरगद के पेड़ 24 घंटे आक्सीजन छोड़ते है ! जिससे जीवाणुओ की संख्या ज्यादा होगी यही जीवाणु खेत को चाहिए !!
तो कुल 5 चीजे हो गई !
1 ) 10 किलो गोबर
2) 10 लीटर मूत्र
3) 1 किलो गुड
4) 1 किलो दाल
5) 1 किलो मिट्टी
इन पांचों को आपस मे मिला दो हाथ से या किसी डंडे से ! मिलाने मे तकलीफ आए तो थोड़ा पानी डाल दो पानी थोड़ा सा ही डालना है !! अब इसे 15 दिन तक छाँव में रखो,पेड़ की छाँव के नीचे ज्यादा बढ़िया ! धूप मे बिलकुल मत रखना !और रोज सुबह शाम एक बार इसे मिला दो. 15 दिन बाद ये खाद बन कर तैयार हो जाएगी इस खाद करोड़ो करोड़ो सूक्ष्म जीवाणु होगी वो हमने जो मिट्टी डाली ना उसी के जीवाणु अपनी संख्या बढ़ाएँगे ! जिस दिन मिट्टी डाल कर रखा था अगर उस दिन 1 लाख जीवाणु है तो 15 दिन बाद इनकी संख्या 100 करोड़ को पार कर जाएगी !!
अब इस खाद (जीवाणु घोल ) को खेत मे डालना है और डालने से पहले इसमे पानी मिलना है पानी कितना मिलना है जितना गोबर था उसका 10 गुना पानी ! 10 किलो गोबर था तो 100 लीटर पानी !! तो पानी मिलाने के बाद ये पूरा घोल तैयार हो जाता है और इसे बस अब एक एकड़ के खेत मे छिड़कना है ! जैसे मिट्टी दबाने के लिए हम पानी छिड़कते है वैसे छिड़कना है !
आप इसे छिड़क देंगे तो ये जीवाणु मिट्टी मे मिल जाएंगे और मिट्टी मे सारा खेल खेलने का काम ये जीवाणु ही करते हैं ! आपको पता है ये जीवाणु क्या कम करते है ?
पोधे की जड़ को नाइट्रोजन चाहिए तो ये जीवाणु उपलब्ध करवाते है !
पोधे की जड़ को कैल्शियम चाहिए तो ये जीवाणु उपलब्ध करवाते है !
पोधे की जड़ को आइरन चाहिए तो ये जीवाणु उपलब्ध करवाते है !
अर्थात पोधे को जितने सूक्ष्म तत्व चाहिए और पोधे के फल से होते हुए हमारे शरीर को भी चाहिए तो ये जीवाणु ही उपलब्ध करवाते हैं ! तो जिस पोधे को जीवाणु ज्यादा मिलेंगे तो उसकी बढ़त ज्यादा होगी बढ़त ज्यादा होगी तो फल ज्यादा होगा फल ज्यादा होगा तो उत्पादन ज्यादा होगा !
अब समय लिख लो इसको कितनी बार कैसे कैसे डालना है ! सब्से अच्छा तरीका है की बीज डालने से पहले जब आप खेत की जुताई करे ठीक उसके अगले दिन डाल दीजिये !! फिर बीज बो दिये जिये और बीज बोने के 21 दिन बाद फिर डाल दो ! आप मोटी सी बात याद रखो हर 21 दिन बाद डाल दो !! मान लो एक फसल 4 महीने की है तो 5 बार डालना पड़ेगा !!
इसको छिड़कने की कुल 4 विधि है !!
1) पहली ये की सीधे डब्बा लो भरो और छिड़क दो !! भरो और छिड़क दो !!
अब आप कहोगे खेत बड़ा है तो क्या करे !
तो दूसरा तारीक है खेत मे पानी लागाते है तो पानी मे डाल दो नाली मे से पानी जा रहा है एक टंकी मे इसको भरकर टूटी खोल दो टपक टपक पानी के साथ चला जाएगा
तीसरा तरीका ये है अगर आपके पास जानवरो की संख्या ज्यादा है तो गोबर ज्यादा होगा थोड़ा गोबर तो खाद बनाने मे काम आ गया बाकी गोबर का क्या करोगे तो बाकी गोबर अगर सूखा हुआ है तो उसे भी 15 दिन बाद 200 लीटर पानी के साथ इसी ड्रम मे डाल दो फिर उस गोबर के लड्डू बना लो खेत मे छिड़क दो !
एक और तरीका है खेत की मिट्टी खोद लो मिट्टी मे ये पूरा घोल मिला दो मिट्टी गीली हो गई इसके लड्डू बना खेत मे छिड़क दो !!
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अब अगर जानवर घर के है तो गोबर ,गौ मूत्र फोकट का ! गुड़ वो लेना है जो
बिलकुल सड़ा हुआ हो जिसे जानवर भी ना खाये पानी तो पहले से फोकट का है कुछ दाल आदि लेने का खर्चा करना पड़ेगा वो भी अगर किसान दाल की खेती करता है तो वो भी मिल जाएगी तो कुल मिलाकर खाद बनाने का खर्चा शून्य हो जाएगा !! मेहनत लगेगी लेकिन पूंजी मे पैसा कम से कम खर्च होगा !!
और ये खाद जो तैयार होगी उसमे जबर्दस्त कवालेटी quality है क्यों इसमे कैल्शियम भरपूर ,आइरन भरपूर ,माइग्निशियम भरपूर , और ऐसे 18 पोषक तत्व है जो मिट्टी को चाहिए वही लेकिन यूरिया मे नहीं है DAP मे ये नहीं है यूरिया मे कैल्शियम नहीं है DAP मे कैल्शियम नहीं है
कैल्शियम सबसे मुख्य आधार है मिट्टी के लिए क्योंकि खेत मे कैल्शियम होगा तो पोधें मे होगा ,पोधे मे होगा तो फल मे होगा ,फल मे होगा तो हमारे भोजन मे होगा
हमारे भोजन मे होगा तो शरीर मे होगा शरीर मे होगा तो हड्डियाँ मजबूत हड्डियाँ मजबूत तो शरीर मजबूत तो ये सारा साइकिल गोबर की खाद से ही मिलेगा यूरिया DAP से तो मिलने वाला ही नहीं है ! तो आप किसानो को ये समझाएँ की गोबर का खाद डालें भरपूर उत्पादन होगा खर्चा शून्य आएगा !! अगर पहले वर्ष थोड़ा उत्पादन कम भी हुआ तो तो खाद जो मे खर्चा शून्य हुआ तो वो बराबर हिसाब बैठेगा क्यों यूरिया की खाद के लिए हजारो हजारो रुपए खर्च करने पड़ते है !! और हर साल उत्पादन बढ़ता जाएगा ! 10 -12 साल बाद तो 100 % की बढ़ोतरी हो जाती है !! दोगुना लाभ ! बस हमेशा एक बात याद रखे जो गोबर लेना है वो देशी गाय का ही होना चाहिए ! विदेशी जर्सी गाय वाले से लाभ नहीं मिलेगा
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