जैविक बनाम रासायनिक खेती

जैविक बनाम रासायनिक खेती
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Kisaan Helpline

Soil Mar 18, 2016

आज आप सुब को पता ही होगा की आमतौर पर यह माना जाता है कि ज्यादा मात्रा में रासायनिक खाद एवं कीटनाशक इस्तेमाल करने से फॉलो का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है और उत्पादन बढ़ने से किसान का मुनाफा बढ़ सकता है। सरकार भी किसानों को वैज्ञानिक ढंग से खेती करने की सलाह देती है, लेकिन इस वैज्ञानिक विधि का अर्थ सिर्फ और सिर्फ रासायनिक खाद और कीटनाशकों के इस्तेमाल तक ही सीमित होता है। आज आप ने देखा होगा आए दिन हम विदर्भ, आंध्र प्रदेश, गुजरात, पंजाब एवं उत्तर प्रदेश के किसानों द्वारा आत्महत्या करने की खबरें सुनते रहते हैं। इसके अलावा रासायनिक खाद और कीटनाशकों के इस्तेमाल से फसलो, अनाज, सब्जियां, दूध, फल और पानी, जो इंसान के जीवन का प्रमुख आधार हैं, जहरीले बनते जा रहे हैं। इस वजह से इंसानी जीवन धीरे-धीरे खतरे में पड़ता जा रहा है। और आज हार्टअटैक, शुगर, ब्लडप्रेशर एवं अन्य कई प्रकार की बीमारियां आम होती जा रही हैं। आज हम जो भी खाते हैं, उसमें रासायनिक तत्वों की अधिकता इतनी ज्यादा होती है कि हमारा खाना मीठा जहर बन चुका है।

किसान के दवारा फसल उगाने के लिए अंधाधुंध रासायनिक खाद का इस्तेमाल इंसानी जीवन के लिए खतरा तो बना ही है, साथ ही यह जमीन को भी बंजर बनाता जा रहा है। भूमि में उर्वरा छमता कम और   उत्पादन घटता जा रहा है। उत्पादन बढ़ाने के लिए लगातार रासायनिक खाद की मात्रा बढ़ानी पड़ रही है। मिट्टी में जीवाश्म की मात्रा घटती जा रही है।

भूमि की भौतिक संरचना एवं रासायनिक गुणों पर इसका विपरीत असर पड़ रहा है। अब सवाल यह है कि क्या इन सारी समस्याओं का कोई समाधान नहीं है? समाधान है, इन सारी समस्याओं का एकमात्र समाधान जैविक खेती है। जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में वर्मी कंपोस्ट मददगार साबित हो रही है। जैविक खेती रासायनिक खेती से सस्ती पड़ती है, क्योंकि इसका कच्चा माल किसान के पास उपलब्ध रहता है, जैसे गोबर से कंपोस्ट खाद, चारे एवं फसलों के अवशेष से तैयार खाद, केचुए की खाद।

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