गेहूं की अच्छी किस्मों - सही किस्मों का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है

गेहूं की अच्छी किस्मों - सही किस्मों का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है
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Kisaan Helpline

Soil Oct 29, 2015

गेहूं की अच्छी किस्म:


अच्छी फसल लेने के लिए गेहूं की किस्मों का सही चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। आज हम कुछ ऐसी किस्मो के बारे मे जानकारी देंगें जो आने वाले रबी के मौसम मे बुवाई के लिये उपयुक्त है-
जे.डब्लू.-1106: यह मध्यम अवधि (115 दिन) वाली किस्म है जिसके पौधे सीधे मध्यम ऊँचाई के होते है। बीज का आकार सिंचित अवस्था में बड़ा व आकर्षक होता है। सरबती तथा अधिक प्रोटीन युक्त किस्म है जिसकी आसत उपज 40 - 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।अमृता (एच.आई. 1500): यह शरबती श्रेणी की नवीनतम सूखा निरोधक किस्म है। दाने मध्यम गोल, सुनहरा (अम्बर) रंग एवं चमकदार होते है। फसल पकने की अवधि 125 - 130 दिन तथा आदर्श परिस्थितियों में 30 - 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है।स्वर्णा (एच.आई.-1479): समय से बोने हेतु मध्य प्रदेश की उर्वरा भूमियो के लिए शीघ्र पकने वाली गेरूआ निरोधक किस्म है। गेहू का दाना लम्बा, बोल्ड, आकर्षक, शरबती जैसा चमकदार व स्वादिष्ट होता है। इस किस्म से 2 - 3 सिंचाइयों से अच्छी उपज ली जा सकती है। गेहूँ की लोक-1 किस्म के विकल्प के रूप में इसकी खेती की जा सकती है।हर्षित (एचआई-1531): यह सूखा पाला अवरोधी मध्यम बोनी (75 - 90 से. मी. ऊँचाई) सरबती किस्म है। इसके दाने सुडौल, चमकदार, सरबती एवं रोटी के लिए उत्तम है जिसे सुजाता किस्म के विकल्प के रूप में उगाया जा सकता है। फसल अवधि 115 दिन है तथा 1 - 2 सिंचाई में 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से अधिक उपज देती है।मालव शक्ति (एचआई - 8498): यह कम ऊँचाई वाली (85 से.मी) बोनी कठिया (ड्यूरम) किस्म है। यह नम्बर - दिसम्बर तक बोने हेतु उपयुक्त किस्म है। इसका दाना अत्यन्त आकर्षक, बड़ा, चमकदार, प्रोटीन व विटामिन ए की मात्रा अधिक, अत्यन्त स्वादिष्ट होता है। बेकरी पदार्थ, नूडल्स, सिवैया, रवा आदि बनाने के लिए उपयुक्त है। बाजार भाव अधिक मिलता है तथा गेहूँ निर्यात के लिए उत्तम किस्म है। इसकी बोनी नवम्बर से लेकर दिसम्बर के द्वितीय सप्ताह तक की जा सकती है। इसकी फसल लोक-1 से पहले तैयार हो जाती है। इससे अच्छी उपज लेने के लिए 4 - 5 पानी आवश्यक है।मालवश्री (एचआई - 8381): यह कठिया गेहूँ की श्रेणी में श्रेष्ठ किस्म है। इसके पौधे बौने (85 - 90 से.मी. ऊँचाई), बालियों के बालों का रंग काला होता है। यह किस्म 4 - 5 सिंचाई मे बेहतर उत्पादन देती है। उपज क्षमता 50 - 60 क्विंटल प्रति हेक्टर है।जे.डब्लू 3288- ये किस्म वर्षा आधारित या सीमित सिंचाई मे खेती के लिये उपयुक्त किस्म है। इसके दाने बड़े होते है। इसका पौधा झुकता नही है तथा इसके दाने छिंटकते नही है। कई कल्ले देती है । गेरूआ रोग के प्रति रोधी तथा 2 सिंचाई मे उपज 45-47 कुंतल प्रति हैक्टैयर दे सकती है।जे डब्लू 3173- आंशिक सिंचाई मे खेती करने योग्य तथा गर्मी के प्रति सहनशील, गेरूआ रोग के प्रतिरोधी, मोटे दानो वाली, 1-2 सिंचाई मे 38-42 कुंतल प्रति हैक्टैयर उपज दे सकती है।जे डब्लू 3211- सूखे तथा गेरूआ रोग के प्रति रोधी, चपाती बनाने के लिये उत्तम, सिमित (1-3) सिंचाई के लिये उपयुक्त, 2 सिंचाई मे उपज 40-45 कुंतल प्रति हैक्टैयर दे सकती है।जे. डब्लू 3020- वर्षा आधारित तथा सीमित सिंचाई के लिये उत्तम. मोटे दानो व लम्बी बाली वाली, गेरूआ रोग के लिये प्रतिरोधी, दो सिंचाई मे 45-50 कुंतल प्रति हैक्टैयर उपज दे सकती है।जी.डब्लू 322- गेरूआ प्रतिरोधी, दाना बडा चमकदार, बहुत लोकप्रिय, उपज 55-60 कुंतल प्रति हेक्टैयरजे डब्लू 1215: कठिया (ड्यूरम) श्रेणी की नई किस्म, गेरूआ के प्रतिरोधी, बड़े मोटे दाने, उपज

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