गर्मी से छोटे ही रह गए सोयाबीन के दाने

गर्मी से छोटे ही रह गए सोयाबीन के दाने
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Kisaan Helpline

Soil Sep 23, 2015

मंदसौर/गरोठ

बारिश में रही गर्मी से सोयाबीन के दाने छोटे रह गए। उत्पादन कम हुआ है। राजस्व विभाग नुकसान का आंकलन कर रहा है। दो दिन से छा रहे बादलों से किसान घबराया है। खेतों में कटी पड़ी सोयाबीन खराब होने की आशंका है।

जिले में सोयाबीन का रकबा 2.80 लाख हेक्टेयर है। प्रति हेक्टेयर 12 क्विंटल से 33 लाख क्विंटल उत्पादन होना था। मौसम की मार के कारण यह कम हो रहा है। किसानों के अनुसार एवरेज प्रति हेक्टेयर 8 क्विंटल के मान से 22 लाख क्विंटल उत्पादन होगा। उत्पादन में जिले में 11 लाख क्विंटल का अंतर संभावित है। फिलहाल खेतों में सोयाबीन की कटी हुई फसल है। अगर बारिश होती है तो दाना खराब होना, दाग लगना, फिर से अंकुरण जैसी परेशानियों से किसान को सामना करना पड़ेगा।

नुकसान का आकलन जारी

किसानों ने जल्द उपज देने वाली सोयाबीन की किस्म की बोवनी की। कचनारा के किसान रामलाल पाटीदार ने बताया शुरुआत में ज्यादा बारिश से फसलें खराब हुई। बारिश की खेंच से सोयाबीन की फलियों में दाने छोटे रह गए। खजूरी आंजना के किसान रामेश्वर विश्वकर्मा का कहना है पिछले साल एक हेक्टेयर में 12 से 15 क्विंटल सोयाबीन हुई थी। इस बार 7-8 क्विंटल निकल जाए तो खूब होगा। अगस्त व सितंबर में बारिश के साथ नहीं देने व तेज गर्मी के चलते किसानों को सोयाबीन की फसल में नुकसान उठाना पड़ा। राजस्व विभाग गांव-गांव में जाकर ड्राफ कटिंग कर उत्पादन का आकलन कर रही है। अब तक विभाग ने आकड़ों का खुलासा नहीं किया है। अधिकारी उत्पादन प्रभावित होने की पूरी संभावना बता रहे हैं।

बदलते मौसम के कारण सबसे ज्यादा परेशानी हुई

मौसम अनुकुल नहीं होने से उत्पादन पर प्रभाव पड़ा है। किसानों को परेशानी हो रही है। फिलहाल किसानों को जल्दी से जल्दी यह फसल समेट लेनी चाहिए आैर अगली फसल की तैयारी शुरू करनी चाहिए। दिनेश कुमार भाना, एसएडीओ, कृषि विभाग

कितना उत्पादन प्रभावित होगा इसका चल रहा है सर्वे

उत्पादन प्रभावित होगा लेकिन कितना यह कहना मुश्किल है। क्योंकि जिले में तीन तरह की फसलों की बोवनी हुई है। सबसे अधिक जल्दी उपज देने वाली फसलों में नुकसान दिख रहा है। आरएल जमरा, उपसंचालक कृषि मंदसौर

मंगलवार को नगर एवं क्षेत्र में हल्की बारिश हुई। फसल कट रही है तो कहीं कटी हुई खेतो में पड़ी है। बारिश के कारण फसल को सबसे अधिक नुकसान की संभावना है। इसमें भी खासकर सोयाबीन फसल को। मौसम के चलते किसान ताबड़ तोड़ फसल समेटने में जुटे हैं। 15 दिन से क्षेत्र में फसल लेने का काम चल रहा है। सोयाबीन काटकर कुछ दिन सूखने खेत में ही रखी जाती है। 85 फीसदी किसानों ने फसल काट ली है। कुछ की खेतों में पड़ी है तो कुछ खलिहान तक पहुंच गई है।

सोयाबीन जब तक मशीन तक नहीं पहुंचती किसानों को चिंता रहेगी। खेतों में पड़ी सोयाबीन भीगी तो सुखाने के लिए किसान को चार से पांच दिन धूप देना पड़ेगी लेकिन दागी होने सेे भाव पर असर पड़ेगा। बारिश के दौरान खेत में पड़ी सोयाबीन में जहरीले जानवरों होने से किसानों के जान जाने तक की घटना हो सकती है। बारिश के मौसम के चलते किसान फसलें समेटने रात काम कर रहे हैं। किसानों की कोशिश है कि बारिश से पहले वे फसल समेट लें। दागी फसल होने पर किसानों को 200 से 300 रुपए प्रति क्विंटल तक कम मिलेंगे। 24 से 26 जून तक जिले के 60 प्रतिशत किसानों ने सोयाबीन की बाेवनी की थी। पिछले सालों की स्थिति देखते हुए किसानों ने सोयाबीन जेएस 9560, जेएस 335, जेएस 9305 की बोनी की जो 90 से 120 दिनों में तैयार होने वाली फसलें हैं। शुरुआत में अच्छी बारिश से किसानों में उत्साह था, लेकिन अत्यधिक बारिश ने फसलों को फलने फूलने का मौका नहीं दिया। जब फसलों को जरूरत थी बारिश नहीं हुई। किसान जो हुआ उसे समेट कर अगली फसल की तैयारी में जुटे हैं और अब आसमान में बादल मंडरा रहे हैं।

बारिश हुई तो हो सकता है काफी बड़ा नुकसान

टकरावद में किसान प्रहलाद के खेत में ड्राफ्ट कटिंग करते पटवारी, पंचायत सचिव व किसान।

खेतों में पड़ी फसल समेटने में जुटे किसान

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