Soil testing is a very important agricultural practice that involves analyzing soil samples to find out its nutrient content, pH level, and other essential properties. This process helps farmers understand the health and fertility of the soil, enabling them to make informed decisions about crop selection, fertilizer, and soil management.
मिट्टी क्या है?
"मिट्टी पृथ्वी की सतह पर एक गतिशील प्राकृतिक शरीर है जिसमें पौधे उगते हैं, खनिजों, कार्बनिक पदार्थों और जीवित रूपों से बने होते हैं।" बकमैन और ब्रैडी। मिट्टी खनिजों, कार्बनिक पदार्थों, गैसों, तरल पदार्थों और सूक्ष्म जीवों की विशाल आबादी का मिश्रण है जो एक साथ पृथ्वी पर जीवन का समर्थन करते हैं। मिट्टी प्रकृति का एक अद्भुत उपहार है जिसे मनुष्य ने पिछले 10,000 से अधिक वर्षों से कृषि के लिए उपयोग करना शुरू कर दिया है।
पौधे के पोषक तत्व:
पौधों की उचित वृद्धि और विकास के लिए, मिट्टी में इष्टतम स्तर पर 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैर-उर्वरक पोषक तत्व हैं जो पौधों को हवा और पानी के माध्यम से उपलब्ध होते हैं। छह मैक्रो-पोषक तत्वों से एन, पी और के पौधों को मिट्टी के माध्यम से बड़ी मात्रा में आवश्यकता होती है इसलिए प्राथमिक पोषक तत्व कहा जाता है।
द्वितीयक पौधों के पोषक तत्व कैल्शियम, मैग्नीशियम और सल्फर हैं जिनकी तुलनात्मक रूप से कम मात्रा में आवश्यकता होती है लेकिन पौधे की वृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। तांबा, मैंगनीज, लोहा, जस्ता, मोलिब्डेनम, क्लोरीन और बोरॉन की बहुत कम मात्रा में आवश्यकता होती है इसलिए इसे सूक्ष्म पोषक तत्व कहा जाता है।
पौधे के पोषक तत्वों की भूमिका और महत्व:
श्रेणी | पोषक तत्व |
---|---|
गैर-उर्वरक पोषक तत्व | C, H & O |
मैक्रो-पोषक तत्व (प्राथमिक) | N, P & K |
मैक्रो-पोषक तत्व (माध्यमिक) | Ca, Mg & S |
सूक्ष्म पोषक तत्व | Zn, Cu, Fe, Mn, Mo, B & Cl |
आसान भाषा में मिट्टी जाँच क्या होता है?
मिट्टी जाँच, जिसे आमतौर पर मृदा परीक्षण भी कहा जाता है, खेत की मिट्टी में पौधों की समुचित वृद्धि एवं विकास हेतु पोषक तत्वों की उपलब्ध मात्रा, भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणों का रासायनिक परीक्षणों द्वारा आंकलन करने के साथ ही विभिन्न मृदा विकारों जैसे मृदा लवणीयता, क्षारीयता एवं अम्लीयता की जाँच करना मिट्टी जाँच कहलाता है।
मिट्टी जांच की जरूरत क्यों होती है?
पौधों की समुचित वृद्धि एवं विकास के लिए सोलह पोषक तत्व आवश्यक माने जाते है। इन पोषक तत्वों को खेत में फसल की आवश्यकतानुरूप ही उपयोग करना चाहिए जिससे फसल उत्पादन ज्यादा से ज्यादा मिले और मिट्टी की उर्वरा शक्ति में गिरावट भी न आए। फसल में उर्वरक प्रयोग करने की सही मात्रा की जानकारी मिट्टी की जाँच के द्वारा ही प्राप्त की जा सकती है।
मृदा परीक्षण सामान्यतया निम्न बातों की जानकारी के लिए आवश्यक होता है:
मिट्टी की जाँच कब करवाना चाहिए?
मिट्टी की जाँच के लिये मिट्टी का नमूना बुवाई से लगभग एक महीने पहले लेकर मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में भेज दें, जिससे मिट्टी की जांच की रिपोर्ट फसल की बुवाई से पहले मिल जाये। मृदा पी-एच विद्युत चालकता एवं कार्बनिक पदार्थ को प्रत्येक मौसम में तथा मुख्य द्वितीयक एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की एक से दो वर्ष के अन्तराल पर जाँच कराना चाहिए।
मिट्टी का नमूना लेने के लिये आवश्यक उपकरण एवं सामग्री
खुरपी, फावड़ा, ऑगर, पैमाना / फीता, प्लास्टिक बाल्टी/प्लास्टिक ट्रे, खरल और मूसल, छलनी, पॉलीथीन की थैलियाँ, गत्ते के डिब्बे, प्लास्टिक सीट, पेन्सिल / बॉल पेन, कागज का सूचना पत्रक (पर्ची), मॉरटल (लकड़ी), धागा या सुतली आदि।
मिट्टी लेने के लिए औजारों का चयन
ऊपरी सतह से नमूना लेने के लिए खुर्पी या टयूब / ऑगर, अधिक गहराई या गीली मिट्टी से नमूना लेने के लिए पोस्ट होल ऑगर तथा सख्त मिट्टी से नमूना लेने के लिए बर्मे (स्क्रू ऑगर) का प्रयोग करे। गड्ढे खोदने से के लिए कस्सी, फावड़े अथवा लम्बी छड वाले ऑगर का प्रयोग करें।
मिट्टी जाँच के लिये नमूना लेने की विधि
अ) खाली खेत में चिन्ह लगाने का तरीका
मिट्टी जाँच के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है कि मिट्टी का सही नमूना किसान भाई कैसे एकत्र करें? इसके लिए सबसे जरूरी होता है कि नमूना इस प्रकार लिया जाए कि वह जिस खेत से लिया जा रहा है उस नमूने में है पूरे खेत कि मिट्टी के अंश होने चाहिए। इसके लिए खेत से कई जगह से नमूने लिए जाते हैं तथा इन सभी नमूनों को मिलाकर एक नमूना बनाया जाता है। खेत से मिट्टी का नमूना लेने का तरीका निम्न है:
ब) खड़ी फसल के खेत से नमूना लेने का तरीका
खड़ी फसल वाले खेत से मिट्टी का नमूना लेना हो तो फसल की लाइनों के बीच से नमूना लेने हेतु चिन्ह लगा लगाकर अलग-अलग लाइनों से मिट्टी का नमूना लें।
मिट्टी के नमूना को जाँच हेतु तैयार करने का तरीका
अलग-अलग जगहों से लिए गए मिट्टी के नमूनों का एक ढेर बनाकर चार भागो में बांट कर आमने-सामने के दो भागो को फैंक दे तथा शेष दो भागो को पुनः मिलाकर चार भागो में बाटें। इस प्रकार मिट्टी के नमूने की मात्रा को घटाते हुए बाद में लगभग आधा कि.ग्रा. मिट्टी की मात्रा को साफ कपड़े की थैली में भरकर मिट्टी की जाँच कराने हेतु सूचना पत्रक में सभी आवश्यक सूचनाओं के साथ मिट्टी के नमूना के साथ ही बांधकर मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में भेज दें।
खेत से नमूना लेने की गहराई
खेत से मिट्टी का नमूना कब नहीं लेना चाहिए?
मिट्टी का नमूना जहां तक हो सके खाली खेत से ही लेना चाहिये। यदि किसी खास कारण से खाली खेत से नमूना लेने की स्थिति में न हों तो खड़ी फसल की कटाई से पूर्व फसल की लाइनों के बीच से नमूना लें। ध्यान रखें कि वर्षा, सिंचाई, उर्वरकों के प्रयोग के बाद तथा खेत में फसल अवशेषों को जलाने के तुरन्त बाद का मिट्टी का नमूना नहीं लेना चाहिये।
मिट्टी का नमूना लेते समय ध्यान देने वाली आवश्यक सावधानियाँ:
नोट: रासायनिक खाद स्थान से नमूना न लें। जिन स्थानों पर पुरानी बाड़, सड़क हो और यहाँ गोबर खाद का पहले ढेर लगाया गया हो या गोबर खाद डाली गई हो, वहाँ से मृदा का नमूना न लें। ऐसे भाग से भी नमूना न लें, जो बाकी क्षेत्र से अलग हो। यदि ऐसा कोई नमूना लिया जाना है, तो नमूने को अलग रखें।
अगर आप मंदसौर, नीमच, रतलाम, उज्जैन या आस-पास के इलाकों के किसान हैं और आप अपने खेत की मिट्टी की जांच करवाना चाहते हैं तो किसान हेल्पलाइन का मिट्टी परीक्षण केंद्र मंदसौर जिले के दलौदा मंडी में स्थित है, आप वहां अपनी मिट्टी की जांच करवा सकते हैं।
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