रासायनिक नहीं, प्राकृतिक स्वाद की मिठास चुनिए!

रासायनिक नहीं, प्राकृतिक स्वाद की मिठास चुनिए!
रासायनिक नहीं, प्राकृतिक स्वाद की मिठास चुनिए!

Sanjay Kumar Singh

रासायनिक नहीं, प्राकृतिक स्वाद की मिठास चुनिए!

आम खाइए, ज़िम्मेदारी से पकाइए बिना रसायन, सिर्फ स्वाद और सेहत!

 

प्रोफेसर (डॉ.) SK Singh

SK Singh Dr RPCAU Pusa

Expert advice by SK Singh

विभागाध्यक्ष, पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट पैथोलॉजी एवं नेमेटोलॉजी

प्रधान, केला अनुसंधान केंद्र,गोरौल , हाजीपुर

पूर्व प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर, बिहार – 848125

 

आम को "फलों का राजा" कहा जाता है, और गर्मियों के मौसम में इसकी मिठास हर घर की पहचान बन जाती है। लेकिन बाजार में बिकने वाले आमों को जल्दी पकाने के लिए अक्सर कैल्शियम कार्बाइड जैसे हानिकारक रसायनों का उपयोग किया जाता है, जो स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं। इसलिए रसायन मुक्त घरेलू तरीकों से आम पकाना एक सुरक्षित, सस्ता और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प है। इस लेख में हम विस्तार से विभिन्न घरेलू उपायों, उनकी प्रक्रियाओं, लाभों और सावधानियों पर चर्चा करेंगे, ताकि आप अपने घर पर स्वादिष्ट और सुरक्षित आम का आनंद ले सकें। मेरी सलाह होगी कि आप बाजार या सीधे आम के बगीचे से थोड़ा थोड़ा सही परिपक्वता पर तोड़े गाए कच्चे आप के फल लाए,उसे घर पर ही पकाए एवं आम खाने का सही लुफ्त उठाए...

 

1. कागज के बैग में आम पकाना: सरल और प्रभावी तरीका

प्रक्रिया: कच्चे आमों को एक भूरे रंग के कागज के बैग में रखें। बैग को हल्के से बंद करें ताकि हवा का आंशिक प्रवाह बना रहे, लेकिन आम द्वारा उत्सर्जित इथाइलीन गैस बाहर न निकले। इसे कमरे के तापमान पर 2-3 दिनों तक रखें। प्रतिदिन आमों की स्थिति जांचते रहें।

 

लाभ

यह प्रक्रिया पूरी तरह प्राकृतिक है।

आम का स्वाद, सुगंध और रंग सुरक्षित रहते हैं।

कागज के बैग सस्ते और आसानी से उपलब्ध होते हैं।

 

सावधानियां

बैग में गीले या सड़े-गले आम न रखें।

अत्यधिक बंद बैग से नमी जमा हो सकती है, जिससे आम सड़ सकते हैं।

 

2. चावल में आम पकाना: परंपरा और विज्ञान का मेल

प्रक्रिया: एक टोकरी या बर्तन में सूखे चावल भरें। आमों को इस चावल के ढेर में पूरी तरह से ढंक दें। 2-4 दिनों तक रखें और नियमित रूप से जांच करें।

 

लाभ:

चावल इथाइलीन गैस को संरक्षित करता है, जिससे पकने की गति बढ़ती है।

 यह विधि पारंपरिक, सस्ती और सुरक्षित है।

 

सावधानियां

चावल सूखा होना चाहिए; नमी से आम सड़ सकते हैं।

 बहुत अधिक आम एक साथ न रखें, ताकि दबाव के कारण आम क्षतिग्रस्त न हों।

 

3. जूट या सूती कपड़े में लपेटना: सरलता में वैज्ञानिकता

प्रक्रिया: आमों को जूट की बोरी या साफ सूती कपड़े में लपेटें। इसे किसी गर्म, लेकिन छायादार स्थान पर रखें। 2-4 दिनों में आम पकने लगेंगे।

 

लाभ

जूट और कपड़ा दोनों ही पर्यावरण के अनुकूल हैं।

 इस प्रक्रिया से आमों की गुणवत्ता बरकरार रहती है।

सावधानियां

कपड़ा सूखा और स्वच्छ होना चाहिए।

आमों को बहुत कसकर न लपेटें, ताकि वे सड़ें नहीं।

 

4. सेब या केले के साथ पकाना: प्राकृतिक गैस से तेजी से पकना

प्रक्रिया: आमों को एक कागज के बैग या बंद डिब्बे में रखें। साथ में 1-2 पके हुए सेब या केले रखें। 1-2 दिनों में आम पकने लगेंगे।

लाभ

इथाइलीन गैस की अधिकता से प्रक्रिया तेज होती है।

रसायनों की आवश्यकता नहीं होती।

सावधानियां

 ज्यादा फल न मिलाएं; अधिक इथाइलीन से आम अधिक तेजी से पक सकते हैं और खराब हो सकते हैं।

 आम की नियमित जांच ज़रूरी है।

 

5. पुआल या भूसे में पकाना: ग्रामीण भारत की पारंपरिक विधि

प्रक्रिया: एक टोकरी में सूखा पुआल या भूसा बिछाएं। आमों को उसके बीच रखकर ढक दें।इसे 3-5 दिनों तक छायादार स्थान पर रखें।

लाभ

 यह विधि पूरी तरह पारंपरिक और जैविक है।

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