आम उत्पादकों की बेचैनी बढ़ी: जानिए क्यों कुछ पेड़ों में नहीं आ रहे मंजर

Sanjay Kumar Singh

30-11--0001 12:00 AM

आम उत्पादकों की बेचैनी बढ़ी: जानिए क्यों कुछ पेड़ों में नहीं आ रहे मंजर


प्रोफेसर (डॉ.) SK Singh 

SK Singh Dr RPCAU Pusa 

Expert advice by SK Singh 

हेड,केला अनुसंधान केंद्र, गोरौल, हाजीपुर

विभागाध्यक्ष, पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट पैथोलॉजी एवं नेमेटोलॉजी

डॉ. राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पूसा-848 125, समस्तीपुर, बिहार



आज मुझे विश्वविद्यालय मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर स्थित विभिन्न आम के बागों का भ्रमण करने का अवसर मिला। इस यात्रा के दौरान मैंने आम के पेड़ों में मंजर (फूलों का गुच्छा) आने की प्रक्रिया को करीब से देखा और किसानों की चिंताओं को समझा। इस वर्ष आम के पेड़ों में मंजर आने का पैटर्न पिछले विभिन्न वर्षों से भिन्न है, जिसका मुख्य कारण वर्तमान तापमान खासकर रात का तापमान की असामान्यता है।


तापमान और मंजर बनने का संबंध

वर्तमान में रात का तापमान सामान्य से 2.5 डिग्री सेल्सियस कम दर्ज किया जा रहा है। कहने का तात्पर्य यह है कि जहां इस समय रात का तापमान लगभग 12 डिग्री सेल्सियस से अधिक होना चाहिए था, वह अब भी इससे कम या उसी के आस पास बना हुआ है। वहीं, दिन का तापमान भी सामान्य से 2 डिग्री सेल्सियस अधिक है और लगभग 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है।

तापमान में यह असमानता सीधे तौर पर आम के पेड़ों में मंजर बनने की प्रक्रिया को प्रभावित कर रही है। आमतौर पर, मंजर आने के लिए रात का तापमान 12-15 डिग्री सेल्सियस और दिन का तापमान 25-30 डिग्री सेल्सियस के बीच होना अनुकूल माना जाता है।


युवा और पुराने पेड़ों में अंतर

मेरे अवलोकन में पाया गया कि जिन आम के पेड़ों की आयु 15 से 20 वर्ष से कम है, उनमें मंजर अच्छी तरह विकसित हो चुका है। इन पेड़ों में फूल बनने की प्रक्रिया अपेक्षाकृत संतोषजनक दिखी।

लेकिन जिन पेड़ों की आयु 15-20 वर्ष से अधिक है, उनमें अभी भी मंजर ठीक से नहीं आए हैं। इस कारण आम उत्पादक किसानों में बेचैनी साफ देखी जा सकती है। वे आशंकित हैं कि कहीं इस साल उनकी फसल को नुकसान न हो जाए।


मेरी वैज्ञानिक मान्यता

मेरे अनुभव और अनुसंधान के आधार पर मैं आम उत्पादक किसानों को सलाह देना चाहूंगा कि अभी धैर्य बनाए रखें और जल्दबाजी में कोई निर्णय न लें। जब तापमान 12 डिग्री सेल्सियस से ऊपर और 15 डिग्री सेल्सियस के आसपास पहुंच जाएगा, तो निश्चित रूप से उन बड़े पेड़ों में भी मंजर आना शुरू हो जाएगा।

तापमान में यह बदलाव आगामी कुछ सप्ताहों में देखने को मिल सकता है।

इसलिए, किसानों को धैर्य रखना चाहिए और मौसम के बदलाव का इंतजार करना चाहिए।

इस दौरान पेड़ों की उचित देखभाल आवश्यक होगा। कहने का तात्पर्य यह है इस समय खाद एवं उर्वरकों के प्रयोग एवं सिंचाई करने से बचना चाहिए अन्यथा नुकसान हो जाएगा।


किसानों के लिए महत्वपूर्ण सुझाव

तापमान पर नज़र रखें – स्थानीय मौसम विभाग या डिजिटल मौसम पूर्वानुमान उपकरणों का उपयोग करें।

इस समय सिंचाई करने से बचे

जब तक मंजर में फल ठीक से न लग जाए तब तक पोषक तत्वों का प्रयोग न करें  नाइट्रोजन की अधिक मात्रा से बचें।


सारांश 

इस वर्ष तापमान में असमानता के कारण आम के पेड़ों में मंजर बनने की प्रक्रिया में भिन्नता देखने को मिल रही है। युवा पेड़ों में मंजर अच्छी तरह से आ चुके हैं, लेकिन पुराने पेड़ों में तापमान के थोड़ा और बढ़ने के बाद ही मंजर आने की संभावना है।

इसलिए, किसानों को धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करनी चाहिए और जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। आगामी कुछ सप्ताहों में जैसे-जैसे रात का तापमान 12-15 डिग्री सेल्सियस के बीच स्थिर होगा, वैसे ही पुराने पेड़ों में भी मंजर विकसित होंगे, जिससे आम की अच्छी उपज होने की संभावना बनी रहेगी।


 "प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर खेती करने वाले किसान ही दीर्घकालिक सफलता प्राप्त करते हैं!"

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