Land Preparation & Soil Health
खाद एवं रासायनिक उर्वरक
फसल के अच्छे विकास के लिए रोपाई के पहले खेत में 10-12 टन/एकड़ की दर से FYM (गोबर की खाद)दी जानी चाहिए । रासायनिक उर्वरक के रूप में एन.पी.के. 100:50:50 के अनुपात में खुराक अच्छे विकास के लिए देना चाहिए। बराबर-बराबर मात्रा में नाइट्रोजन तीन बार देना चाहिए। एक तो रोपाई से पहले, दूसरी इस के करीब 60 दिन बाद और तीसरी मात्रा तब दें जब फ़ूल निकलने लगे। (लगभग 90 से 120 दिन बाद) FYM , फ़ास्फ़ोरस और पोटाश की पूरी खुराक कंद रोपने के समय ही दे दें।
Crop Spray & fertilizer Specification
आप जानते हैं रजनीगंधा एक बारहमासी पौधा है जिसका उपयोग इंत्र के निर्माण में किया जाता है। इसका नाम लैटिन भाषा ट्वरोज से निकला है। इसका हिन्दी नाम “रजनीगंधा” है। रजनीगंधा को "निशीगंधा" और "स्वोर्ड लिल्ली" के नाम से भी जाना जाता है। यह एक सदाबाहार जड़ी बूटी वाला पौधा है जिस में फूल की डंठल 75-100 सैं.मी. लम्बी होती हैजो 10-20 चिमनी के जैसे आकार के सफेद रंग के फूल उत्पन करता है। इसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधन इत्र, आवश्यक तेलों और पान मसाला आदि के उत्पादन में किया जाता है।इससे प्राप्त आवश्यक तेल का उपयोग विभिन्न प्रकार की आयुर्वेदिक दवाओं, पेय पदार्थ, डेंटल क्रीम और माऊथ वाश के निर्माण मे किया जाता है। धार्मिक समारोह, शादी समारोह माला सजावट और विभिन्न पारंपरिक रस्मों में फूलों का उपयोग किया जाता है। इससे प्राप्त कंद का उपयोग प्रमेह के उपचार में किया जाता है।
Weeding & Irrigation
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए रोपण के पहले चरण में निंदाई की आवश्यकता होती है। नियमित रूप से निंदाई करना चाहिए।
सिंचाई
कंदो की रोपाई के पहले सिंचाई करना चाहिए और इसके बाद अगली सिंचाई तब तक नहीं करना चाहिए जब तक कंद अंकुरित न हो जाये। अंकुरण होने के बाद और 4-6 पत्ते निकलने पर हफ्ते में एक बार सिंचाई करें। मिट्टी और जलवायु के आधार पर, 8-12 सिंचाइयां करनी आवश्यक है।
Harvesting & Storage
फसल की कटाई
रजनीगंधा के कंद लगाने के बाद 4 से 5 महीने के अंदर इसमें फूल आने लगते हे अच्छी तरह से तैयार पौधे फूलो को शाम के समय काट लेना चाहिये।
कटाई के बाद
कटाई के बाद फूलो को समय पर बाजार में भेज देना चाहिये इत्र बनाने के लिए फूलो को समय पर आसवन इकाई पर भेज देना चहिये।
भडांरण
रजनीगंधा को सीमित हवा परिसंचरण के साथ शुष्क वातापरण में संग्रहित किया जाना चाहिए।
उत्पादन
अच्छी खेती से 80 से 120 क्विंटल खुले फूल का उत्पादन होता है। यह उत्पादन किस्म पर भी निर्भर करता है। प्रति एकड़ 100 क्विंटल कंदो (बल्व) का उत्पादन होता है।