Land Preparation & Soil Health
खाद एवं रासायनिक उर्वरक
पहले वर्ष में 10 कि.ग्रा. गोबर खाद, 150 ग्राम नाइट्रोजन, 50 ग्राम फास्फोरस, 75 ग्राम पोटाश।
दूसरा वर्ष में 20 कि.ग्रा. गोबर खाद, 300 ग्राम नाइट्रोजन, 100 ग्राम फास्फोरस, 150 ग्राम पोटाश।
तीसरे वर्ष में 30 कि.ग्रा. गोबर खाद, 450 ग्राम नाइट्रोजन, 150 ग्राम फास्फोरस, 225 ग्राम पोटाश।
चौथे वर्ष में 40कि.ग्रा. गोबर खाद, 600 ग्राम नाइट्रोजन, 200 ग्राम फास्फोरस, 300 ग्राम पोटाश।
पाचवां वर्ष व अधिक 50 कि.ग्रा. गोबर खाद,750 ग्राम नाइट्रोजन, 250 ग्राम फास्फोरस, 375 ग्राम पोटाश।
इसके आलावा किसान भाई आवश्यकतानुसार जिंक सल्फेट और अन्य टॉनिक खादों का प्रयोग कर सकते है| पानी में घुलनशील खादों के छिड़काव से पैदावार पर काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है| ध्यान रहे रासायनिक उर्वरक का प्रयोग मिट्टी परिक्षण के आधार पर करें।
Crop Spray & fertilizer Specification
संतरे की खेती की उन्नत खेती देश में बड़े पैमाने में की जाती है। संतरा एक नींबू वर्गीय फल है। भारत में केला और आम के बाद संतेरे को सबसे ज्यादा उगाया जाता है। भारत में उगाए जाने वाले खट्टे फलों में, मैंडरिन ऑरेंज सबसे आम है। यह भारत में संतरे की खेती के कुल क्षेत्र का लगभग 40% है। संतरा सबसे अधिक महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, असम, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, नागालैंड, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश में उगाया जाता है। संतरा विटामिन सी, ए, बी और फॉस्फोरस से भरपूर होता है। इसका मुख्य रूप से इस्तेमाल खाने और जूस निकालकर पीने में किया जाता है। इसको पीने के कई गुणकारी फायदें हैं।
Weeding & Irrigation
खरपतवार नियंत्रण
संतरे के खेत में खरपतवारों को हाथ से गोडाई करके या रासायनों द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है, खरपतवार निकलने के पश्चात् - ग्लायफोसेट 4 लीटर या पेराक्वाट 2 लीटर 500 से 600 लीटर पानी मे मिलाकर प्रति हेक्टेयर से उपयोग करे। जहा तक संभव हो खरपतवारनाशक फूल निकलने से पहले उपयोग करे। खरपतवारनाशक का प्रयोग मुख्य पौधो पर नही करना चाहिए।
सिंचाई
संतरे की खेती में अच्छे उत्पादन के लिए सिंचाई का विशेष ध्यान रखना होता है। मार्च से जून तक 10 से 12 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते है, जब कि वर्षा ऋतू में सिंचाई नहीं कि जाती सितम्बर से दिसंबर तक 20 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए|
Harvesting & Storage
फसल अवधि
मंदारिन के फूल मार्च और अप्रैल में दिखाई देते हैं और अत्यधिक सुगंधित होते हैं, जो कई मधुमक्खियों को आकर्षित करते हैं। फल सेट मई में है और पूरी तरह से पकने के लिए छह से आठ महीने की आवश्यकता होती है। बढ़ते पेड़ों को सप्ताह में कम से कम एक बार या गर्मी की लहरों के दौरान या शुष्क क्षेत्रों में दो बार पानी की आवश्यकता होती है।
कटाई
फलों की तुड़ाई तब की जाती है, जब वे पूर्ण आकार प्राप्त करते हैं। जब फलों का रंग पीला और आकर्षक दिखाई दें। तब उन्हें डंठल सहित काटकर अलग करना चाहिए। जिससे फल ज्यादा वक्त तक ताज़ा रहता है। फलों की तुड़ाई गीले मौसम में या बारिश के दौरान नहीं करनी चाहिए। संतरों की तुडाई करने के बाद साफ गिले कपड़े से पूंछ लें और छायादार स्थान पर सूखा दें। इसके बाद फलों को किसी हवादार बॉक्स में सूखी घास के साथ भर देते हैं। अब बॉक्स को बंद कर बाज़ार में भेज सकते है।
सफाई एवं सुखाई
वे फल जो तिरछे, अपरिपक्व, झोंके (सूजे हुए), फूला हुआ (फलों की सतह पर धब्बे वाला), विकृत, (प्राकृतिक आकार न होने वाला), गहरे हरे रंग के, फल (डार्क फ्रूट) और रोग के कारण सफाई के दौरान हटा दिए जाते हैं।
कटाई के बाद
कटे हुए फलों को आमतौर पर क्लोरीन (1000 पीपीएम) से धोया जाता है और सतह के पानी को निकालने के बाद उन्हें स्टेफ्रेश हाई शाइन वैक्स (2.5%) के साथ लेपित किया जाता है, जिसमें बाविस्टिन (4000 पीपीएम) होता है और अंत में सुरंग ड्रायर में 500-550C सूख जाता है।
फलों को आमतौर पर दूर के बाजारों के लिए लकड़ी के बक्से में पैक किया जाता है, जबकि विभाजन के लिए बांस और शहतूत के स्थानीय विपणन टोकरियों का उपयोग किया जाता है। कटा हुआ पुआल और सूखी घास ज्यादातर पैडिंग के लिए उपयोग की जाती है। टिशू पेपर या अखबार में लपेटने से पहले फलों को कपड़े के टुकड़े से हल्के से साफ और पॉलिश करना चाहिए। लकड़ी के बक्सों के स्थान पर हवादार नालीदार फाइबर बोर्ड के डिब्बों का उपयोग अत्यधिक लाभदायक है।
परिवहन
मंदारिन को आम तौर पर बिना प्रशीतन के साधारण कारगो के रूप में रेल या सड़क द्वारा ले जाया जाता है।