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किसानों को उनकी उपज और पैदावार की सही कीमत दिलाने के लिए सरकार ने ऑनलाइन राष्ट्रीय कृषि बाज़ार 'ई-नाम' की शुरुआत की है। 'ई-नाम' की पायलट परियोजना के तहत 8 राज्यों की 21 मंडियां ‘ई-नाम’ से जुड़ गई हैं। 'ई-नाम' की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'इस पहल से पारदर्शिता आएगी, जिससे किसानों को काफी हद तक फायदा होगा। नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये कृषि समुदाय के लिए एक बड़ा बदलाव है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र को समग्र रूप में देखना होगा और इसके बाद ही किसानों को अधिकतम लाभ सुनिश्चित किया जा सकता है। कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में सरकार ने किसानों की समस्या समझते हुए इस परियोजना पर तेजी से काम किया और आज 8 राज्यों की 21 मंडियों को राष्ट्रीय कृषि बाजार से जोड़ दिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि सितंबर, 2016 तक इसमें 200 मंडियां शामिल हो जाएंगी और मार्च, 2018 तक 585 मंडियों को जोड़ दिया जाएगा।
लॉन्चिंग में आठ राज्य शामिल
कृषि मंत्रालय के मुताबिक, कई राज्यों और संघ शासित प्रदेशों ने राष्ट्रीय कृषि मंडी में शामिल होने की इच्छा जताई थी, लेकिन विस्तृत प्रस्ताव 12 राज्यों से 365 मंडियों को इस प्लेटफॉर्म पर लाने के लिए मिले थे। इनमें से आठ राज्यों -गुजरात, तेलंगाना, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश- से 21 मंडियों को ई-नाम की लॉन्चिंग के लिए चुना गया है।
'ई-नाम' से क्या होगा फायदा ?
अब किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए आढ़तियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। किसान अब राष्ट्रीय कृषि मंडी से 8 राज्यों की 21 मंडियों में गेहूं, मक्का, चना समेत कुल 25 जिंसों को ऑनलाइन बेच सकेंगे, वो भी एक क्लिक से और अच्छे दामों पर। जिंसों के कारोबार में बहुलाइसेंस की प्रणाली खत्म होगी और प्रमुख मंडियों के ताजा मूल्य की जानकारी मिल पाएगी।
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