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कानपुर - भारत में अगर हम बात करें तो फलों के राजा आम का नाम लेते ही हर मुंह में पानी आना लाजमी है, क्योंकि आम होता ही लजीज फल है। एक शीतल पेय के विज्ञापन में भी ताजे आम का स्वाद हर सीजन में देने का दावा किया जाता है। लेकिन शहर में एक ऐसी जगह है, जहां पर सितंबर माह में भी पेड़ से ताजा आम तोड़कर स्वाद ले सकते हैं।
शहर व आसपास के सभी क्षेत्रों में गर्मी के मौसम में दशहरी आम की मांग बढ़ती रहती है। पड़ोसी जनपदों में सैकड़ों बाग हैं, जिनमें दशहरी आम की पैदावार अधिक होती है। इसके अलावा तोतापरी, चौसा और मलिहाबादी आम की भी अधिक मांग रहती है। बारिश शुरू होते ही आम का फल बाजार से भी गायब हो जाता है लेकिन सितंबर महीने में पेड़ पर आम का फल देखकर लोगों में कौतूहल बना है।
त्रिपाठी बताते है की जलवायु परिवर्तन से बेमौसम पेड़ों पर आते है फल
चंद्रशेखर आजाद विवि के हार्टीकल्चर विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर विवेक त्रिपाठी कहते हैं कि कुछ पेड़ों में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के चलते बेमौसम फल आते हैं। इस मौसम में पैदा होने वाला आम बेहद खट्टा होता है। फल को मीठा बनाने के लिए 4 किलो गोबर की खाद, आधा किलो पोटाश, 200 ग्राम डीएपी, 50 ग्राम बोरेक्स मिलाकर पेड़ की जड़ में डालना होगा।
रेलवे के लोको शेड में लग रही भीड़
मौसम मार्च से जुलाई के बीच का है। मगर सितंबर में अगर कोई आम का पेड़ फल से लद जाए जाए तो क्या कहेंगे। इन दिनों रेलवे इलेक्ट्रिक लोको शेड में भीड़ लग रही है। लोको शेड में फलों से लदा आम का पेड़ चर्चा का विषय बना हुआ है। अधिकारियों के मुताबिक इस पेड़ पर कुछ सालों बाद इस मौसम में फल आते हैं।
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