माह दिसंबर मध्य तक कर सकते हैं किसान गेहूं की पछेती बिजाई

माह दिसंबर मध्य तक कर सकते हैं किसान गेहूं की पछेती बिजाई
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Kisaan Helpline

Agriculture Dec 04, 2018

 

रोहतक जिले में पिछले करीब एक महीने से किसान गेहूं की बिजाई(बुवाई) में लगे हैं। इस महीने में गेहूं की पछेती बिजाई के लिए उपयुक्त समय है। कृषि अधिकारियों का कहना है कि दिसंबर मध्य तक गेहूं की पछेती किस्मों की बिजाई कर सकते हैं। उनका यह भी कहना है कि गेहूं की बिजाई में सावधानी बरतकर उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।

 

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उप निदेशक डा. रोहताशसिंह ने बताया कि रोहतक में एक लाख पांच हजार हेक्टेयर में गेहूं की बिजाई का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि रोहतक में गेहूं की अधिकतर बिजाई हो चुकी है, लेकिन अभी कुछ किसान पछेती बिजाई में लगे हैं। धान के खेतों में जलभराव होने से गेहूं की बिजाई में किसानों को देरी हो रही है। हालांकि सीड ड्रिल मशीन से धान के फानों के बीच में भी गेहूं की बिजाई की जा रही है। उन्होंने बिजाई से पहले बीज के उपचार की सलाह दी है। कृषि अधिकारियों की मानें तो भूमि से अधिक उत्पादन लेने के लिए नियम के मुताबिक कृषि करनी चाहिए। फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए उनकी सही समय पर बिजाई करना आवश्यक है। गेहूं की फसल की बिजाई के लिए 1 से 20 नवंबर तक श्रेष्ठ समय है। हालांकि पछेती किस्मों की दिसंबर मध्य तक बिजाई की जा सकती है। पछेती बिजाई करने पर अच्छा उत्पादन लेने के लिए बीज उपचार अवश्य करें। 

 

गेहूं की फसल में 5-6 बार सिंचाई की जरूरत

 

गेहूं की फसल में आप 5-6 बार सिंचाई करें। गेहूं की बौनी किस्मों में अधिक उर्वरक दिए जाते हैं। जिस कारण में 2-3 अतिरिक्त सिंचाइयों की जरूरत पड़ती है। बौनी किस्मों में पहली सिंचाई बिजाई के 3 सप्ताह बाद जबकि लंबी किस्मों में बिजाई के 4-5 सप्ताह बाद करें। पछेती बिजाई करने पर पहली सिंचाई 3 सप्ताह की बजाय 4 सप्ताह बाद करें। भूमि में नमी संरक्षण और खपतवार नियंत्रण के लिए पहली तथा दूसरी सिंचाई के बाद निराई-गोड़ाई भी करें। उपज बढ़ाने के उपाय :

 

1. खेत को अच्छी तरह से तैयार करें, मिट्टी में नमी उचित मात्रा में हो

 

2. गेहूं की ऐसी किस्म का चयन करें जिसकी इलाके के लिए कृषि अधिकारी सिफारिश कर रहे हों

 

3. पौध संरक्षण के लिए मिट्टी व बीज का उपयुक्त उपचार करें

 

4. बिजाई सही समय पर और सही विधि से की जनि चाहिए

 

5. उर्वरक को सही तरीके और सही मात्रा में डाला जाए

 

6. खरपतवारों की सही समय पर रोकथाम करें

 

7. फसल में सही समय पर सिंचाई करें

 

8. फसल पकने पर सही समय पर उसकी कटाई करें।

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