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इस वर्ष में किसानों ने गेहूँ के स्थान पर चना, मसूर, की बोनी अधिक की है, चना फसल की लगभग एक लाख साठ हजार हैक्टेयर मे बोनी की गई है। जिले में मिश्रित खेती के लिये अब किसानों के मन में रूझान बना है। तहसील जबेरा के गहरा ग्राम में कहीं कहीं मिश्रित खेती की गई है, गेंहूं के साथ धनिया भी लगाया गया है। जिले मे वर्तमान समय में गेहूँ कल्ले की अवस्था अच्छी है। जिले में मवाठा बारिश होने के कारण सबसे अधिक फायदा इन्हीं फसलों को हुआ है। फसलों में बढ़वार अच्छी हुई है जिससे भरपूर पैदावार मिलेगी। चना की फसल जो फूल एवं फल्ली की अवस्था में है, पानी मिलने से चने की फसल में अधिक फूल एवं फल्ली में दाने सही तरीके से भरेंगे।
इस वर्ष औसत से 40 प्रतिशत वर्षा कम होने के कारण जिले के समस्त सिंचाई स्त्रोत मे पानी की कमी होने से रबी फसले में सिंचाई न होने के कारण सूखने की कगार पर थी इस वजह से पिछले साल की तुलना में गेहूँ की बुवाई 25 प्रतिशत तक कम हुई है।
कृषिगत नियंत्रण
जहाँ बिजली की सुविधा हो, वहाँ प्रकाश प्रपंच का उपयोग कर वयस्क कीटों को एकत्रित कर नष्ट किया जा सकता है। इसके अलावा फेरों मेन ट्रेप लगाकर भी वयस्क कीट को एकत्रित कर नष्ट किया जा सकता है। अन्य नियन्त्रण मे मित्र पक्षियों जैसे नीलकंठ, काँव, पैगा, काली चिड़िया, गलगलिया आदि को बैठने के लियें फसल एक फुट ऊँची मुड़ी हुई लकड़ियों अथवा टी आकार की लकड़ियों को खेतों मे 10-12 स्थानों पर प्रति हैक्टेयर गाढ़ दे ताकि ये मित्र पक्षी लकड़ियों पर बैठ कर इल्लियों को नष्ट कर सकें।
रासायनिक नियंत्रण
रासायनिक नियंत्रण मे मोनोक्रोटोफॉस 36 प्रतिशत, एस.एल 800 मि.ली. या मिथायल पेराथियॉन 50 ई.सी. 800 मि.ली. लगभग 600 लीटर पानी मे घोल बनाकर प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें या फिर मिथायल पेराथियॉन 2 प्रतिशत या क्यूनालफॉस 1.5 डी.पी. या कार्बेरिल 4 प्रतिशत का 25 किलों प्रति हैक्टेयर की दर से डस्टर से भुरकाव करें।
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