कड़ी निगरानी से सफल होगी फसल बीमा योजना

कड़ी निगरानी से सफल होगी फसल बीमा योजना
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Kisaan Helpline

Agriculture Jan 15, 2016

फसल बीमा योजना

कृषि क्षेत्र को मुसीबत से निकालने के लिए कई हलकों से ऐसे सुझाव आए कि अब सरकार को सब्सिडी से हटते हुए सिंचाई सुविधाओं के प्रसार और फसल बीमा की सुरक्षा बढ़ाने के कदम उठाने चाहिए. किसानों को सबसे बड़ी मुश्किल का सामना तभी करना पड़ता है, जब उनकी फसल मारी जाती है. पिछले साल बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से रबी फसल तबाह हुई थी. उसके बाद कई राज्यों से किसानों की आत्म-हत्या की खबरें आईं. गुजरे सीजन में लगातार दूसरी बार मानसून कमजोर रहा. और अब सामान्य ठंड पड़ने तथा दिसंबर-जनवरी में बारिश के अभाव से फिर रबी की फसल को लेकर आशंकाएं गहराई हैं. दरअसल, जलवायु परिवर्तन की चर्चाओं के बीच फसलों की लगातार और अधिक क्षति के अंदेशे बढ़ते जा रहे हैं, इसीलिए कम प्रीमियम दर पर फसल बीमा की सुविधा मुहैया कराने का एनडीए सरकार का फैसला सामयिक माना जाएगा. अगले खरीफ सीजन से लागू होने वाली इस योजना के तहत खाद्यान्न फसलों का बीमा कुल बीमाकृत (इंश्योर्ड) रकम के 2 प्रतिशत प्रीमियम पर होगा. तिलहन, कपास एवं उद्यान-कृषि संबंधी फसलों का बीमा 5 फीसदी प्रीमियम पर होगा. सरकार का दावा है कि नई योजना में क्लेम भुगतान प्रक्रिया को सरल रखने का इंतजाम किया गया है.

सरकारी ब्योरे के मुताबिक एक राज्य में एक ही कंपनी बीमा करेगी. इससे जोखिम और फसल नुकसान का आकलन आसान होगा. फिर प्रावधान होगा कि बीमा क्लेम की 25 फीसदी रकम सीधे किसान के खाते में जमा करानी होगी. यह बीमा प्राइवेट कंपनियां, सार्वजनिक क्षेत्र की एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड (एआईसी) के साथ मिल कर करेंगी. देखने की बात होगी कि मुनाफे से प्रेरित निजी कंपनियां नई योजना को उसकी भावना के मुताबिक लागू करने में कितनी मुस्तैदी दिखाती हैं. नई योजना राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना और संशोधित कृषि बीमा योजना की जगह लेगी. ये योजनाएं एआईसी के जरिये लागू की गईं. इनमें प्रीमियम दर कुछ ऊंची थी और क्लेम चुकाने की जिम्मेदारी सरकार के माथे थी. नई योजना में यह देनदारी निजी कंपनियों की होगी. ऐसे में कुछ हलकों से यह आलोचना हो सकती है कि नई योजना के जरिये सरकार ने कृषि बीमा संबंधी अपनी जिम्मेदारी से पीछा छुड़ाया है, लेकिन अगर सरकार ने योजना की प्रभावी निगरानी की और क्लेम के समय टालमटोल से निजी कंपनियों को रोकने की कारगर व्यवस्था की गई, तो कम प्रीमियम के कारण यह स्कीम (फसल बीमा योजना)  किसानों के लिए वरदान बन सकती है.

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