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भानपुरा-गरोठ क्षेत्र की तस्वीर बदलने वाली हैं। यहां अब फसलें लहलहाती नजर आएंगी। ये संभव होगा गांधीसागर नहर परियोजनाओं से। नहरों का जाल बिछना शुरू हो चुका है। सब कुछ समयानुसार चला तो 2018 में किसान धान की खेती करते नजर आएंगे।
भानपुरा-गरोठ क्षेत्र के 5000 किसानों का भविष्य सुनहरा होने वाला है। जमीनी तौर पर चल रही एक परियोजना में गरोठ-भानपुरा क्षेत्र के 36 गांवों में 12500 हेक्टेयर खेतों तक पानी पहुंचेगा। दो नहर परियोजनाओं के प्रोजेक्ट तैयार है। शासन से स्वीकृति का इंतजार है। दो परियोजनाओं को मंजूरी मिल गई तो क्षेत्र के 63 गांवों के 23500 हेक्टेयर क्षेत्र में पानी पहुंचेगा।
पहली बार गांधीसागर के पानी का उपयोग -गांधीसागर बांध बने 55 साल होने आए। गरोठ-भानपुरा क्षेत्र को पानी का लाभ नहीं मिल पाया। अब तक बिजली का उत्पादन भर किया जा रहा था। किसान सिंचाई कर सकेंगे। ऐसा पहली बार होगा जब बांध से निकली नहरों से क्षेत्र के खेतों में सिंचाई के लिए लाभ मिल सकेगा।
फल और फूलों की खेती होगी लाभदायक -नहरों का सबसे अधिक फायदा फल आैर फूलों की खेती करने वाले किसानों को होगा। क्षेत्र में फलों की खेती खासकर संतरा काफी होता है। गरोठ-भानपुरा क्षेत्र में 3000 हेक्टेयर का। इसके अलावा कुछ किसानों ने गुलाब, चावल की खेती शुरू की है। फिलहाल ये दोनों फसलें क्षेत्र में प्रायोगिक तौर शुरू हुई हैं। रकबा 10 हेक्टेयर व 2 हेक्टेयर के करीब है। खास बात यह वर्तमान में खेती को अभी वे कर पा रहे हैं। इनके पास पर्याप्त पानी की सुविधा है। नहर आने के बाद रकबा दो से तीन गुना बढ़ सकता है। ज्यादा किसान इन खेतियों का लाभ उठा सकेंगे।
भेज दिए प्रस्ताव - ईई जल संसाधन विभाग गांधीसागरआरके शर्मा ने बताया गरोठ-भानपुरा नगर की बड़ी योजना का काम जमीनी तौर पर चल रहा है। इसमें नहर अंडरग्राउंड बनाई जा रही है। इसका काम 2016 में पूरा होने है। फिलहाल 25 से 30 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। दो अन्य परियोजनाओं के प्रस्ताव भेजे गए हैं। शासन से जल्द स्वीकृति मिलने की संभावना है।
किसान होंगे समृद्ध
किसानों के पास पानी की कमी है। वे सरसों, धनियां, अलसी, चना, मसूर आदि की फसलें ले रहे हैं और जिन किसानों के पास पर्याप्त पानी है वे गेहूं, संतरा की फसलें ले रहे हैं। नहरों से पानी मिलने के बाद वे टमाटर, नीबू, अनार, स्ट्राबेरी, केला, अंगूर एवं जामफल जैसी फसलें ले सकेंगे। जिनका बाजार में भाव अच्छा रहता है। नहर आने से जमीनों का भाव बढ़ेगा। सिंचित जमीन होने पर जमीनों के भाव असिंचित जमीन की भावों की तुलना में तीन गुना अधिक होंगे। असिंचित जमीनों का बाजार भाव फिलहाल करीब एक लाख रुपए बीघा है और सिंचित जमीन का भाव करीब चार लाख रुपए बीघा है।
साजलपुर में नहर के लिए बनाया जा रहा ओवरहेड टैंक। यहां से नहर को रेवा नदी तक ले जाया जाएगा। फोटो भास्कर
रकबे पर एक नजर
तहसील सिंचित असिंचित
गरोठ 55000 हेक्टे. 15000 हेक्टे.
भानपुरा 30000 हेक्टे. 7000 हेक्टे.
लागत पर एक नजर
भानपुरा नहर 200 करोड़ रु.
गरोठ नहर 200 करोड़ रु.
अन्य प्रस्तावित नहर 54 करोड़ रु.
कुल लागत 454 करोड़ रु.
परियोजनाओं को पानी
भानपुरा नहर को 8.64 घन मी. प्रति सेकंड
गरोठ की नहर को 10 घन मी. प्रति सेकंड
एक अन्य परियोजना 4 घन मी. प्रति सेकंड
इतने गांवों को मिलेगा लाभ
दोनों तहसीलों के कुल गांव 99
सिंचित भूमि का लक्ष्य 36000 हेक्टे.
किसानों की संख्या करीब 5000
चालू परियोजना में 36 गांव (तहसील भानपुरा)
सिंचित भूमि का लक्ष्य 12500 हेक्टे.
प्रस्तावित परियोजना (अ) 53 गांव
भानपुरा तहसील के 20
गरोठ तहसील के 23
सिंचित भूमि का लक्ष्य 17500 हेक्टे.
एक अन्य परियोजना (ब) 10 गांव
सिंचित भूमि का लक्ष्य 6000 हेक्टे.
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