किसान भाई धान की फसल का रोगों से करें बचाव -
कई स्थानों पर लगातार बारिश होने के कारण तथा कई जगहों पपर तेज धूप पड़ रही है। बारिश के पश्चात् वातावरण में नमी बढ़ने के कारण एवं बीज उपचार न करने के कारण धान की फसल में ब्लास्ट तथा जीवाणु जनित झुलसा / स्ट्रिक रोग क प्रकोप देखा जा रहा है। ऐसे में कृषक भाइयो को खेत की सतत निगरानी करनी चाहिए जिससे समय पर पहचान कर प्रबंधन किया जा सके।
धान का ब्लास्ट या प्रध्वंस रोग
धान की फसल पर रोग के लक्षण आँख या नाव के समान बीच में चौडे एवं किनारों में सकरे धब्बे के रूप में दिखाई देते हैं। धब्बों के बीच का भाग हल्के भूरे रंग का होता है। धीरे-धीरे यह धब्बे आपस में मिलकर पत्तियों को सुखा देते हैं। रोग के लक्षण तने के इन्टरनोड तथा बाली के आधार पर दिखाई देते हैं जिसके कारण बालियों में दाना नहीं बन पाता।
रोग की रोकथाम के लिए कृषक भाई फफूंदनाशक मिश्रण
ट्राइसायक्लाजोल 40% ई.सी. + हेक्साकोनाजोल 10% डब्लू.जी. @ 500 ग्राम या आइसोप्रोथिओलेन 40% ई.सी. @ 750 मिली. या कासुगामाइसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45 % डब्लू. पी. @ 700 ग्राम या एजाक्सिस्ट्रोबिन 18.2% + डाइफेनोकोनाजोल 114 % एस.सी. @ 500 मिली प्रति हेक्टेयर प्रति 500 ली. पानी की दर से छिड़काव करें। नत्रजन उर्वरकों का प्रयोग न करें तथा खेत में 2 सेमी, पानी भर कर रखें।
धान का बैक्टीरियल ब्लास्ट या जीवाणु जनित झुलसा रोग
धान के इस रोग में पानी की शीर्ष सतह हल्के पीले या पुआल के रंग जैसी हो जाती है। इसके कारण पत्तियों सूख जाती है। रोग के प्रबंधन के लिए नाइट्रोजनयुक्त उर्वरकों का संतुलित प्रयोग करें। कॉपर ऑक्सीक्लोराइड @ 1.25 किग्रा. या कॉपर हाइड्रोक्साइड 53.8% डी.एल @ 15 ली. या कासुगामाइसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% डब्लू पी (@ 700 ग्राम प्रति हेक्टेयर प्रति 500 ली पानी की दर से छिड़काव करें।
छिड़काव के लिए पानी की संतुलित मात्रा का प्रयोग करें तथा इसमें किसी कीटनाशी या उर्वरकों का प्रयोग आपस में मिलाकर न करें। अन्यथा पौधों को नुकसान हो सकता है।
कृषि विज्ञान केन्द्र, ग्वालियर एडवाइजरी