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कम लागत की प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण आतमा की ओर से समिति भवन ठियोग में शिविर का आयोजन आयोजित किया गया। इस अवसर पर ठियोग विकास-खंड की सभी पंचायतों से आमंत्रित किसानों को शून्य लागत खेती करने के तौर तरीकों व अपने खेत-बगीचों को जहरीले रसायनों से मुक्त करने की जानकारी दी गई। ठियोग के सहायक कृषि अधिकारी रोशनलाल शर्मा ने बताया, कि इस शिविर में 100 से अधिक किसानों ने हिस्सा लिया और जैविक खेती अपनाने का प्रण लिया।
ठियोग शिविर में कृषि विभाग की ओर से प्रशिक्षकों ने किसानों को बताया कि कैसे कीटनाशकों व रसायनों से खेतों को काफी ज्यादा नुकसान हो रहा है। और उनकी उत्पादन क्षमता कम होने के साथ साथ कई प्रकार की बीमारियों को भी प्रकोप भी बढ़ रहा है।
वही शिमला से आए आब्जर्वर डॉ. नरेंद्र वर्मा ने किसानों से खेत की मिट्टी की जाँच करवाने को कहा। और ये भी बताया कि किसानों के लिए यह सुविधा नि:शुल्क है। इसके लिए उन्होंने किसानों से मृदा कार्ड बनाने का भी आग्रह किया। कृषि विभाग के विषयवाद विशेषज्ञ मनोहर कालिया, खंड तकनीकी प्रबंधक विक्रात लेखी ने शिविर में किसानों से देसी गाय के गोमूत्र, गोबर, लस्सी आदि का प्रयोग करने की जानकारी दी। उन्होंने व्यावहारिक रूप से घोल बनाने की विधि भी शिविर में बताई।
बताया कि ठियोग विकास खंड को जैविक खेती में पहले स्थान पर लाने के लिए किसानों-बागवानों का सहयोग व प्रयास करने चाहिए, ताकि किसानों को उनकी फसलों के अच्छे दाम मिल सकें। उन्होंने कहा कि आतमा प्रोजेक्ट के तहत ठियोग को कीटनाशकों व रसायनों से मुक्त करने के लिए अभियान चलाया जाएगा। सहायक तकनीकी प्रबंधक सहित विभाग के कई अधिकारी व कर्मचारी इस शिविर में मौजूद रहे।
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