Harish Dhakad
16-09-2021 07:52 AMकिसानों के लिए आवश्यक है की उनकी खेती स्वस्थ रहे और मृदा में पोषक तत्व विद्यमान रहे। मृदा में पोषक तत्व और उर्वरक की कमी के कारण उत्पादन में कमी न हो इस कारण केंद्र सरकार द्वारा मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की हैं। मृदा पोषक तत्व और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने और बनाए रखने के उद्देश्य से, मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी) योजना हर दो साल में किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करती है ताकि खेतों में पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए आधार प्रदान किया जा सके। योजना के तहत पोषक तत्वों की आवश्यकता का विश्लेषण करने के लिए मिट्टी परीक्षण किया जाता है, उसके बाद फसलवार उर्वरकों की सिफारिश की जाती है। यह सही मात्रा में सही उर्वरकों के प्रयोग से खेती की लागत को कम करता है।
योजना का नाम - सॉइल हेल्थ कार्ड योजना
इनके द्वारा शुरू की गयी - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी
कब शुरू की गयी - वर्ष 2015
उद्देश्य - देश के किसानो को लाभ पहुँचाना
विभाग - कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार
ऑफिसियल वेबसाइट - https://soilhealth.dac.gov.in/
इस योजना की थीम - स्वस्थ धरा, खेत हरा।
मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना जहाँ एक ओर किसानों के लिये वरदान साबित हो रही है, वहीं ग्रामीण युवाओं के लिये यह रोज़गार का माध्यम भी बनी है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड में उर्वरकों की फसलवार सिफारिशें मुहैया कराई जाती हैं और इसके साथ ही किसानों को यह भी बताया जाता है कि कृषि भूमि की उर्वरा क्षमता को किस प्रकार बढ़ाया जा सकता है। इससे किसानों को अपनी भूमि की सेहत जानने तथा उर्वरकों के विवेकपूर्ण चयन में मदद मिलती है। मृदा यानि कृषि भूमि की सेहत और खाद के बारे में पर्याप्त जानकारी न होने के चलते किसान आम तौर पर नाइट्रोजन का अत्यधिक प्रयोग करते हैं, जो न सिर्फ कृषि उत्पादों की गुणवत्ता के लिये खतरनाक है बल्कि इससे भूमिगत जल में नाइट्रेट की मात्रा भी बढ़ जाती है। इससे पर्यावरणीय समस्याएँ भी उत्पन्न होती हैं। मृदा स्वास्थ्य कार्ड के ज़रिये इन समस्याओं से बचा जा सकता है।
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