Vikas Singh Sengar
09-08-2023 03:18 AMअमित सिंह (सहायक प्राध्यापक) एवं ब्रजेश कुमार मिश्र (सह प्राध्यापक)
कृषि विज्ञान विभाग, महर्षि मारकंडेश्वर (सम विश्वविद्यालय )
मुल्लाना, अंबाला, हरियाणा, भारत
भारत को एक कृषि प्रधान देश के रूप में जाना जाता है, और यहाँ की अधिकांश जनसँख्या खेती और इससे सम्बंधित उद्योगों पर आश्रित है| भारत में प्रतिवर्ष विभिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन किया जाता है| कभी-कभी वातावरण अनुकूल न होनें तथा अन्य कारणों से फसलों के उत्पादन में भारी कमीं हो जाती है | हालाँकि किसान अपनी फसल के बेहतर उत्पादन के लिए विभिन्न प्रकार के कार्य करते है, जिसमें से निराई गुड़ाई भी शामिल है |
किसी भी फसल की उत्पादन क्षमता बढ़ानें के लिए फसल को बोनें के उपरांत निराई – गुड़ाई करना अत्यंत आवश्यक होता है | निराई – गुड़ाई किसे कहते हैं, निराई – गुड़ाई कैसे करते है और इससे सम्बंधित मशीन के बारे में आपको यहाँ जानकारी दी जा रही है|
निराई गुड़ाई किसे कहते हैं
अक्सर हम देखते है, कि खाली पड़ी हुई भूमि या खेतों घास-फूस के आलावा विभिन्न प्रकार के पौधे अपनें आप ही उग आते है | ठीक उसी प्रकार जब किसानों द्वारा फसल उत्पादन के लिए बुवाई की जाती है, तो उस फसल के पौधों के साथ ही विभिन्न प्रजातियों के जैसे- दूबघास, पत्थरचटा, कनकवा, मकोय, हजारदाना, जंगली चौलाई, जंगली जूट, कालादाना, सफेद मुर्ग, गोखरू, अगेव आदि उग आते है, जिन्हें हम आम भाषा में खरपतवार कहते है |
इस प्रकार के खरपतवारों के पनपने से फसल की उत्पादन क्षमता और गुणवत्ता में कमी आ जाती है। किसानों द्वारा इस प्रकार के खरपतवारों को खेतों से हटाना या नष्ट करना ही निराई – गुड़ाई कहलाता है | दरअसल खेतों में स्वतः उगनें पर यदि इन्हें समय रहते नहीं हटाया जाता है, तो यह फसल की पैदावार में भारी कमीं हो जाती है|
निराई – गुड़ाई कैसे करते है
निराई – गुड़ाई अर्थात खरपतवार को खेतों से हटाना या उन्हें नष्ट करना कृषि में एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य माना जाता है, क्योंकि इसका सीधा प्रभाव फसलों के उत्पादन पर पड़ता है | दरअसल यह ऐसे पौधें या घास-फूस होते है, जो किसी भी फसल के साथ अनचाहे रूप से उग आते हैं और फसल को नष्ट कर देते हैं | खेतों में इस प्रकार की अनचाही घास-फूस या पौधों को हटानें के लिए किसानों को बहुत अधिक परिश्रम करना पड़ता है | हालाँकि किसान अपनें खेतों में निराई – गुड़ाई का कार्य 3 प्रकार से करते है, जो इस प्रकार है-
एक निश्चित समय के दौरान खुरपे और अन्य कृषि यंत्रों की सहायता से उन्हें हटाते है | हालाँकि इस कार्य के लिए किसानों को बहुत अधिक परिश्रम करना पड़ता है | वर्तमान समय में घास-फूस या खरपतवार को नष्ट करनें के लिए किसानों द्वारा कई विधियाँ प्रयोग की जाती है | कई किसान इसके लिए विभिन्न प्रकार के रासायनों का प्रयोग करते है और कई किसान खरपतवार को हटानें के लिए मशीनों का उपयोग करते है |
एक सर्वेक्षण से प्राप्त जानकारी के अनुसार ज्यादातर किसान खेतों में निराई गुड़ाई करनें की अपेक्षा रासायनों का प्रयोग सबसे अधिक करते है, क्योंकि इसमें किसानों का कार्य सरलता से बहुत ही कम समय में हो जाता है| हालाँकि खेतों में रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल फसल और भूमि दोनों के लिए हानिकारक है|
आज के तकनीकी दौर में लगभग सभी क्षेत्रों में कार्य करनें के लिए मशीनों को उपयोग में लाया जाता है| इसी प्रकार कृषि के क्षेत्र में भी खेतों की जुताई से लेकर फसलों के बोनें तक मशीनों का प्रयोग किया जाता है| निराई गुड़ाई के लिए भी आज बाजार में विभिन्न प्रकार की मशीनें उपलब्ध है, जिसका उपयोग किसानों द्वारा किया जा रहा है| आपको बता दें, कि रसायनों के अपेक्षा मशीनों से निराई – गुड़ाई करना अधिक बेहतर माना जाता है|
खेतों में निराई गुड़ाई क्यों आवश्यक है (Weeding is Necessary in Fields)
खरपतवार हमेशा ऐसे स्थानों पर उगते है, जहाँ उनकी आवश्यकता नहीं होती है। उनकी उपस्थिति लक्षित फसलों की वृद्धि को प्रभावित करती है| खरपतवारों को नियंत्रित करने की आवश्यकता होती है क्यूंकि उनके उगने के तुरंत बाद वह अंकुरित होने लगते हैं। खरपतवार नियंत्रण में सभी प्रगति के बावजूद, किसानों को अभी भी खरपतवारों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण लगता है।
हालाँकि विभिन्न तकनीकों का उपयोग करके खरपतवारों को नियंत्रित किया जा सकता है। इसमें सांस्कृतिक, जैविक, रासायनिक और यांत्रिक तरीके शामिल हैं। प्रत्येक विधि अलग-अलग खरपतवार प्रजातियों पर अलग-अलग तरीके से काम करती है, इसलिए एकल खरपतवार प्रजातियों को नियंत्रित करने के लिए कई विधियों को एकीकृत करने की आवश्यकता है। नियंत्रण के कई तरीके हैं, लेकिन हम सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावी तरीकों के बारें में आपको यहाँ जानकारी दे रहे है-
सांस्कृतिक खरपतवार नियंत्रण के तरीके (Cultural Weed Control Methods)
जैविक खरपतवार नियंत्रण के तरीके (Organic Weed Control Methods)
जैविक खरपतवार नियंत्रण विधियों का उपयोग खरपतवारों की मात्रा को कम करने के लिए किया जाता है, लेकिन उन्हें पूरी तरह खत्म करने के लिए नहीं। यह उन कीड़ों का उपयोग करता है, जो खरपतवारों के खाद्य भंडार पर फ़ीड करते हैं जिससे उनकी विकास दर कम हो जाती है। कुछ कीट खरपतवारों पर भी अंडे देते हैं, जिससे उनकी धूप और नमी की आपूर्ति बंद हो जाती है और वे धीरे-धीरे मर जाते हैं। जैविक खरपतवार नियंत्रण विधियों के सामान्य उदाहरणों में राइज़ोक्टोनिया ब्लाइट शामिल है, जो जलकुंभी और पिस्सू बीटल पर फ़ीड करता है|
रासायनिक खरपतवार नियंत्रण के तरीके (Chemical Weed Control Methods)
यह खरपतवारों पर उनके विकास को मारने या बदलने के लिए औद्योगिक शाकनाशियों का अनुप्रयोग है। शाकनाशी चयनात्मक और गैर-चयनात्मक या 2 प्रकार के होते है। गैर-चयनात्मक शाकनाशी सभी पौधों को उनके रास्ते में मार देते हैं जबकि चयनात्मक शाकनाशी केवल खरपतवारों को लक्षित करते हैं। शाकनाशियों की विषाक्तता को 4 वर्गों में वर्गीकृत किया गया है, जिनमें सबसे अधिक विषैला वर्ग 1 और सबसे कम विषैला, वर्ग 4 है। अधिकांश गैर-चयनात्मक शाकनाशियों को वर्ग 1 के रूप में वर्गीकृत किया गया है। चूंकि यह बभूत ही प्रभावी होने के साथ ही किसानों के लिए काफी पसंदीदा है।
शाकनाशियों का खेत, लोगों और जानवरों पर खतरनाक दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है। वह प्रदूषित नदियों, अनुपजाऊ खेतों और मनुष्यों में पुरानी बीमारियों के लिए प्रमुख योगदानकर्ता हैं। अधिकांश लोगों ने शाकनाशियों के नकारात्मक प्रभावों को महसूस किया है और अब यांत्रिक नियंत्रण जैसे अधिक सूक्ष्म, लेकिन प्रभावी खरपतवार नियंत्रण विधियों की ओर जा रहे हैं
यांत्रिक नियंत्रण को मशीनों का उपयोग करके जमीन से खरपतवार हटाने के कार्य के रूप में परिभाषित किया गया है। मशीनें बगीचे की कुदाल की तरह सरल या सटीक कुदाल की तरह जटिल हो सकती हैं। बाद वाला बार-बार सबसे अच्छा खरपतवार नियंत्रण तरीका काफी लाभकारी सिद्ध हुआ है।
प्रेसिजन होईंग (Precision Hoeing)
खरपतवार नियंत्रण एक बहुत ही परिश्रम का कार्य है, लेकिन प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ, सटीक निराई गुड़ाई जैसे तरीके इसे कम श्रम गहन बनाते हैं। परिशुद्ध कुदाई एक खेत से खरपतवार निकालने के लिए ट्रैक्टर पर लगे मशीन के कुदाल का उपयोग करने की क्रिया है। सटीक कुदाल में समान दूरी के साथ टाइन और ब्लेड होते हैं। कुछ सटीक होज़ की चौड़ाई 20 मीटर से अधिक हो सकती है जो 7 मानक पंक्तियों में चलती है। जब जीपीएस और सटीक कुदाल सेट हो जाते हैं, तो एक अकेला व्यक्ति एक दिन में सैकड़ों एकड़ कुशलता से खरपतवार निकाल सकता है।
खरपतवार नियंत्रण एक सतत प्रक्रिया है, जैसे-जैसे दुनिया बेहतर विशेषताओं वाले पौधों का विकास होता है, वैसे-वैसे खरपतवार अधिकांश नियंत्रण विधियों के लिए प्रतिरोध विकसित करते हैं। प्रत्येक खरपतवार नियंत्रण विधि का अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए एक बार में कई विधियों को एकीकृत करने की सिफारिश की जाती है।
जैसे-जैसे आप यांत्रिक और रासायनिक खरपतवार नियंत्रण की ओर बढ़ते हैं, कम हानिकारक तरीकों से शुरू करें जैसे कि सांस्कृतिक और जैविक नियंत्रण। यह ध्यान दिया गया है कि रासायनिक खरपतवार नियंत्रण विधियों पर सटीक निराई लगातार प्रमुखता प्राप्त कर रही है। यह इसकी दक्षता और शून्य विषाक्तता के कारण है।
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