मोती की फसल किसान के लिए मुनाफे का सौदा

Vikas Singh Sengar

08-11-2021 03:56 AM

1. गिरजेश कन्नौजिया  2. के. के. सिंह, 3.विकास सिंह सेंगर एवं 4. सुशील कुमार,
1. कृषि प्रसार विभाग, आचार्य नरेंद्र देव कृषि एंव प्रौद्योगिकीय विश्वविद्यालय कुमारगंज, अयोध्या
2. कृषि अर्थशास्त्र विभाग आचार्य नरेंद्र देव कृषि एंव प्रौद्योगिकीय विश्वविद्यालय कुमारगंज, अयोध्या
3. & 4. असिस्टेंट प्रोफेसर, शिवालिक इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज

मोती की फसल मुनाफे का सौदा हो सकती है.तीन प्रकार के होते हैं मोती केवीटी- सीप के अंदर ऑपरेशन के जरिए फारेन बॉडी डालकर मोती तैयार किया जाता है। इसका इस्तेमाल अंगूठी और लॉकेट बनाने में होता है। चमकदार होने के कारण एक मोती की कीमत हजारों रुपए में होती है।  गोनट- इसमें प्राकृतिक रूप से गोल आकार का मोती तैयार होता है। मोती चमकदार व सुंदर होता है। एक मोती की कीमत आकार व चमक के अनुसार 1 हजार से 50 हजार तक होती है। मेंटलटीसू- इसमें सीप के अंदर सीप की बॉडी का हिस्सा ही डाला जाता है। इस मोती का उपयोग खाने के पदार्थों जैसे मोती भस्म, च्यवनप्राश व टॉनिक बनाने में होता है। बाजार में इसकी सबसे ज्यादा मांग है।

मोती बनता कैसे करते हैं
सबसे पहले सीप में जीन सिक्रेशन तैयार करते हैं। इसके बाद सीप में मोती का निर्माण शुरू होता है। सीप का ऑपरेशन कर फॉरेन बॉडी डालने के बाद कैल्शियम कार्बोनेट की परत बनायी जाती है।  जिस आकार की फॅारेन बॉडी सीप में डाली जाती है, उसी आकार का मोती तैयार होता है। सीप की उम्र 3 साल होने पर उसमें मोती तैयार किया जा सकता है। सीप की अधिकतम उम्र 6 साल होती है। सबसे महंगा मोती ब्लैक पर्ल होता है, जो समुद्र की सीप से बनता है। मोती उपजाने के लिए अलग-अलग तरह के सीपों का इस्तेमाल किया जाता है। सीपों के हजारों प्रकार होते हैं। उनके शेल भी कई रंगों के होते हैं। जैसे- गुलाबी, लाल, पीला, नारंगी ,भूरा और भी कई रंग के हो सकते हैं। मोती की खेती के लिए ठंड का मौसम उपयोगी माना जाता है। सीपों को तालाब या नदी से इकट्ठा किया जाता है। उसके बाद 15 दिनों तक उसे पानी में छोड़ दिया जाता है. 15 दिनों के बाद सीपों की सर्जरी की जाती है। सर्जरी के अंतर्गत प्रत्येक सीप के भीतर 4 से 6 मिलीलीटर व्यास वाले साधारण या डिजाइनर बीड जैसे किसी भगवान या फूल पत्तों की आकृति डाले जाते हैं। बीजों को अंदर डाल कर सीपों को बंद कर दिया जाता है. उसके बाद सीपों को नाइलॉन बैग में रखकर, बांस या पीवीसी की पाइप से लटका कर तालाब में एक मीटर की गहराई पर छोड़ दिया जाता है। करीब 1 साल के अंदर मोती बनकर तैयार हो जाता है। उन सीपों को निकालकर उनसे मोतिया निकाली जाती है। 1 साल के अंदर सीपों को खाना भी दिया जाता है। कई तरह की सावधानियां भी बरती जाती हैं जिसकी जानकारी लेख में आगे पढ़ने पर आपको मिल जाएगी।मोती पालन (moti palan) के लिए जरूरी सामान 10 गुना फीट या बड़े आकार का तालाब. 0.4 हेक्टेयर जैसे छोटे तालाब में अधिकतम 25000 सीप से मोती उत्पादन किया जाता है।

खेती
खेती शुरू करने के लिए किसान को पहले सीप लेनी होती है। इसके बाद प्रत्येक सीप में छोटी-सी शल्य क्रिया करनी पड़ती है। इस शल्य क्रिया के बाद सीप के भीतर एक छोटा-सा नाभिक तथा मेटल ऊतक रखा जाता है। फिर सीप को बंद किया जाता है। मेटल ऊतक से निकलने वाला पदार्थ नाभिक के चारों ओर जमने लगता है। अंत में यह मोती का रूप लेता है। कुछ दिनों के बाद सीप को चीर कर मोती निकाल लिया जाता है। मोती की खेती के लिए सबसे अनुकूल मौसम शरद ऋतु यानी अक्टूबर से दिसंबर तक का समय माना जाता है।

कम लागत ज्यादा मुनाफा

  • एक सीप लगभग 110 से 220 रुपए की आती है। सामान्यत: सीप 3 वर्ष की उम्र के बाद मोती बनाने के काम में ली जाती है। मोती तैयार होने में लगभग 14 माह का समय लगता है। इस दौरान सीप के रख-रखाव पर किया जाने वाला खर्च इसकी लागत में शामिल होता है।
  • असली मोती की कीमत हजारों में होती है। एक मोती की कीमत 350 से 1700 रुपए  होती है। अच्छी गुणवत्ता की एवं डिजाइनर मोतियों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजारों में 10,000 रुपए  मिल सकते हैं। यदि एक मोती की कीमत 1,000 रुपए भी मिले तो 100 सीपियों से हम 1,00,000 रुपए  कमा सकते हैं।
  • आमतौर पर 3 वर्ष की उम्र के बाद सीप में मोती बनने लगती है। मोती तैयार होने में 13 से 21 महीने का समय लगता है। 500 वर्ग फीट के तालाब में करीब 100 सीपियों को डालकर मोती की खेती की शुरुआत कर सकते हैं।

मुनाफा मोती की फसल से:
 मोती की कीमत हजारों में होती है। एक मोती की कीमत 350 से 1700 रुपए तक होती है। अच्छी गुणवत्ता की एवं डिजाइनर मोतियों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजारों में 10,000 रुपए तक मिल सकते हैं। एक मोती की कीमत 1,000 रुपए भी मिले तो 100 सीपियों से हम 1,00,000 रुपए तक कमा सकते हैं। तालाब में सीपीओ की संख्या बढ़ाकर मुनाफे को भी आसानी से बढ़ाया जा सकता है। सीप से कई सजावटी वस्तुएं बनाई जाती हैं। इसके साथ ही सीप से इत्र का तेल भी निकाला जाता है। मोती निकालने के बाद सीप को भी स्थानीय बाजार में बेच कर अच्छे पैसे कमाए जा सकते हैं। मोती पालन (moti palan) को मोती की खेती भी कहा जाता है। इस खेती में समुद्री जीव घोंघा के जरिए मोती उपजाया जाता है।

मोती पालन में लागत और कमाई

  • मोती पालन में तकरीबन 85000 Rs से 10500 Rs कि शुरुआती लागत है जिसके एवज में सलाना 7.5 से 8.5  लाख का मुनाफा होता है। दरअसल एक सीप की कीमत 10 से 14 रुपए है। प्रत्येक सीप में दो मोतियों को उपजाया जाता है। यह मोतियां तैयार होकर जब बाजार में जाती हैं तो वहां एक मीमी से 20 मीमी सीप के मोती का दाम करीब 350 Rs से लेकर 1700 रुपए हो जाता है। 
  • अगर आप 1 एकड़ में पारंपरिक खेती करते हैं तो आपको 100000 -150000 का मुनाफा हो सकता है और मोती पालन से 10से 12 लाख।

Smart farming and agriculture app for farmers is an innovative platform that connects farmers and rural communities across the country.

© All Copyright 2024 by Kisaan Helpline