Sanjay Kumar Singh
08-05-2023 01:14 AMप्रोफेसर (डॉ) एसके सिंह
प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना एवं
सह निदेशक अनुसन्धान
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर, बिहार
मशहूर शाही के लीची के फलों की तुड़ाई लगभग 20-25 मई के आस पास करते है। फलों में गहरा लाल रंग विकसित हो जाने मात्र से यह नही समझना चाहिए की फल तुड़ाई योग्य हो गया है। फलों की तुड़ाई फलों में मिठास आने के बाद ही करनी चाहिए। फलों की तुड़ाई से 15 दिन पहले किसी भी प्रकार का कोई भी कीटनाशकों का प्रयोग अवश्य बंद कर देना चाहिए। अनावश्यक कृषि रसायनों का छिड़काव नहीं करना चाहिए अन्यथा फल की गुणवक्तता प्रभावित होती है। लीची में देखा गया है की यदि समय से पहले लीची तोड़ ली जाती है तो फल में न केवल खाने योग्य गुद्दा कम होता है, बल्कि ऐसे फल खट्टे और कम गुणवत्ता के भी होते हैं। इसी प्रकार,यदि फलों को तोड़ने में विलम्ब किया गया तो तोड़े गए फलों में फल का गुद्दा एवं गुद्दे का स्वाद दोनों ख़राब हो जाते हैं। अतः लीची उत्पादक किसानों को यह जानना अत्यावश्यक है की सही परिपक्वता की अवस्था क्या है कैसे समझेगे की अब लीची का फल तुड़ाई के योग्य हो गया है। लीची फल की सही परिपक्वता अवस्था के कुछ विश्वसनीय संकेतक हैं, जिनसे निर्धारित होता है की अब फल तुड़ाई के योग्य हो गया है जैसे, फलों की त्वचा का लाल रंग में परिवर्तित होना। फलों के मात्र लाल हो जाने मात्र से यह नहीं कहा जा सकता है की फल तुड़ाई के योग्य हो गया है।इसके साथ साथ कुछ अन्य गुण मिलने चाहिए जैसे फलों का रसीला होना, फलों के रस का कुल घुलनशील ठोस पदार्थ (TSS) 18-20 डिग्री ब्रिक्स के मध्य होना चाहिए, इसी के साथ फलों की अम्लता 0.5% से कम होना अच्छा माना जाता है । लीची के पेड़ में फल सेटिंग के लगभग 60-65 दिन के बाद ही फल तुड़ाई योग्य होता है। पूर्व वर्षो के अनुभव के आधार पर यह कहा जा सकता है की यह अवस्था लगभग 20-25 मई के आस पास आती है। कभी कभी यह भी देखा जाता है की अधिक लाभ के प्रत्याशा में कुछ किसान सही परिपक्वता से पूर्व ही तुड़ाई कर लेते है, एसे फलों में मिठास कम एवं खट्टापन अधिक होता है। देर से तुड़ाई करने से फलों का लाल आकर्षक रंग में कमी आने लगती है। अतः सलाह दी जाती है की फलों की तुड़ाई सही समय पर ही करें।
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