Vikas Singh Sengar
08-11-2021 03:38 AM1. गिरजेश कन्नौजिया 2. के. के. सिंह, 3.विकास सिंह सेंगर एवं 4. सुशील कुमार,
1. कृषि प्रसार विभाग, आचार्य नरेंद्र देव कृषि एंव प्रौद्योगिकीय विश्वविद्यालय कुमारगंज, अयोध्या
2. कृषि अर्थशास्त्र विभाग आचार्य नरेंद्र देव कृषि एंव प्रौद्योगिकीय विश्वविद्यालय कुमारगंज, अयोध्या
3. & 4. असिस्टेंट प्रोफेसर, शिवालिक इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज
मछली पालन भारत में लाभदायक सिद्ध हो सकता है, भारत की 63 प्रतिशत आबादी मछली को पसंद करती है. वहीं इस व्यापार को करने के लिए जमीन की जरूरत पड़ती है. इस जमीन का उपयोग टैंक, तालाब या फिर ऐसा स्थान बनाने के लिए किया जाता है. जिसमें पानी भरा जा सके और मछलियों को इनमें रखा जा सके. इस व्यापार में लगने वाली लागत, प्राप्त होने वाले लाभ की तुलना में बहुत कम होती है. आप 5 से 10 गुना लाभ आसानी से कमा सकते हैं.
मछली पालन प्रक्रिया:
मछलियों के खाने और जिन्दा रहने का इंतजाम :
व्यापार को तेजी देने के लिए जरूरी है कि मछलियां तालाब में जिन्दा रह सकें और संख्या बढा सकें. इसलिए मछलियों के आवश्यक खाने का इंतजाम कर लेना चाहिए. ध्यान रहे भोजन मछलियों के लिए अनुकूल होना चाहिए | हो सके मछली की प्रजाति को ध्यान में रखते हुए उनके खाने का इंतजाम करें. तालाब के पानी को लेकर सावधानी बरतना जरूरी है. पानी सही है कि नहीं इसकी जांच करने के बाद ही मछलियों को तालाब में डालें.
मछलियों की प्रजातियां :
फार्मिंग के लिए मछली की प्रजाति का चुनाव करना. भारत में रोहू, कटला, मुर्रेल, टूना, ग्रास शार्प एवं हिस्ला मछलियों की प्रजातियां ही मुख्य रूप से पायीं जाती हैं. इस तरह की प्रजातियां मानसून एवं परिस्थितियों के हिसाब से अपने आपको ढाल भी सकती है. मतलब भारत में कारोबार करने के लिए इस तरह की मछलियां चयन करना लाभदायक साबित होगा. वहीं ये प्रजातियां भारत में आसानी से मिल जाती इसलिए इनके दाम भी काम होते हैं.
रख रखाव :
व्यापार को सुचारु रूप से चलाने के लिए मजदूरों की जरूरत पड़ती है. जो मछलियों का ख्याल रख सकें और समय-समय पर इन्हें खाना दे सकें. इसके साथ ही मछलियों को सुरक्षित रखना काफी महत्वपूर्ण है. अगर किसी मछली को बीमारी हो जाती है, तो पोटेशियम परमैंगनेट और साल्ट यानि सोडियम का इस्तेमाल करें. क्योंकि एक मछली में फैलने वाले ये कीटाणु या रोग पूरी मछलियों को बीमार कर सकते हैं.
पानी की गुणवत्ता को बनाएं रखना
तालाब को हर हफ्ते में एक बार साफ करना होगा. इस प्रक्रिया को महीनें में दो बार कर सकते हैं. इसके साथ-साथ तालाब में भरे पानी की पीएच मान भी 7 से लेकर 8 तक संतुलित करने की आवश्यकता होती है. ऐसा करने से मछलियों को साफ पानी मिलता है और मछलियों की उत्पादन क्षमता बढ़ जाती है.
मछली पालन के तरीके :
मत्स्य या मछली पालने के बहुत से तरीके मौजूद हैं, मुख्य रूप से नीचे बताए गए तकनीकों को अधिकतर इस्तेमाल किया जाता है. इनको इस्तेमाल करने का मुख्य कारण कम लागत में अधिक मुनाफा कमाना है.
पिंजरा विधि :
इस तकनीक का इस्तेमाल समुद्रों, झीलों और नदियों में किया जाता है, यानी की पूरा व्यापार किसी नदी या समुद्र के पानी में ही करना होता है. ये मत्स्य पालन का व्यापार करने का सबसे सरल एवं फायदेमंद तरीका है. बहुत कम लागत लगती है. इसमें समुद्र या नदी के पानी में ही पिंजरे नुमा जाल बिछाना होता है. लेकिन समुद्र मे इस तरीके के जाल को बिछाते समय सावधानी जरूर बर्तें.
कृत्रिम तालाब बनाकर :
इस तकनीक को सबसे अच्छी तकनीक माना जाता है, इसके लिए कृत्रिम विधि से तालाब बनाना होता है या फिर आप किसी पुराने तालाब का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. लेकिन इसके रख-रखाव एवं व्यापार को अच्छे से बैठाने में थोड़ा खर्च ज्यादा खर्च आ सकता है और इसमें मेहनत भी काफी लगती है. लेकिन मछलियों की पैदावार भी उच्च दर्जे की होती है, और भरपूर लाभ प्राप्त होता है.
घर या बंद कमरे में मछली पालन :
आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से घर पर या किसी बंद जगह में भी मछली पालन कर सकते हैं. इसके लिए तकनीक का इस्तेमाल करके मछलियों के रहने लायक वातावरण तैयार करना होता हैं. इसके लिए कमरे का तापमान घटाना और बढ़ाना भी पड़ सकता है. ऐसा करने के लिए कमरे में उपकरण लगाने की आवश्यकता होगी. जिनकी मदद से कमरे का तापमान अपने हिसाब से नियत्रंण कर सकते हैं. इस तकनीक के जरिए फिश फार्मिंग करना लाभदायक ही होता है. वहीं उचित स्थान का चयन करते समय ये जरूर देख लें की वहां पर बिजली और पानी की अच्छी सुविधा मौजूद हो.
लाभ :
मछली पालन करने के व्यापार में लगातार तेजी दर्ज की जा रही है. इस व्यापार के जरिए अच्छा खासे पैसे हर साल कमा सकते हैं. इतना ही नहीं इस व्यापार को विदेशों तक भी पहुंचा सकते हैं और दूसरे देशों में भी मछलियां निर्यात कर सकते हैं. इस व्यापार को शुरू करने में ज्यादा खर्चा नहीं आता है और इसे कम लागत यानी कम पैसों में शुरू कर सकते हैं. इतना ही नहीं हमारे देश की नदियों में मछलियां बहुत अधिक मात्रा में पाई जाती हैं. ऐसे में कभी भी इस व्यापार में गिरवाट नहीं आती है.
मार्केटिंग :
हर शहर में मछलियों को बेचने के लिए बाजार लगाया जाता है. जहां जाकर अपनी मछलियां बेच सकते हैं. इतना ही नहीं मछली विदेशों में भी भेजी जाती हैं. इसके अलावा मछलियों को सीधे तौर पर किसी होटलों या छोटे दुकानदारों को भी बेच सकते हैं.
पैकेजिंग :
होटलों और दुकानदारों को मछलियां बेचने से पहले अच्छे से पैकिंग करनी होती है. ताकि मछलियों को सही तरह से और बिना किसी परेशानी से इन तक पहुंचाया जा सके. अगर मछलियों को किसी विदेश या दूसरे राज्य में बेचते हैं तो भी पैकेजिंग की जरूरत पड़ती है. पैकेजिंग किसी भी तरह के पॉलिथीन बैग में कर सकते है और ये बैग आसानी से बाजार में मिल जाएंगे.
लागत :
45 से 55 हजार रुपए के बीच में तालाब का पूरा सेटअप तैयार कर सकते हैं. उसके बाद मछली के बीज, खाना, पानी एवं बिजली का कुल बिल मिलाकर 1.25 से 1.5 लाख रूपय तक का खर्चा आता है. यानी इस व्यापार को अच्छे स्तर पर शुरू करने के लिए आपको कम से कम 2.05 लाख रुपए की जरूरत पड़ती है.
मछली पालन से मुनाफा :
अगर इस व्यापार में एक लाख रुपय लगाते हैं, तो कम से कम 3.5 गुना लाभ हो सकता है. इसके अलावा इस व्यापार में होने वाला फायदा आपकी क्षमता, कार्यशैली, एवं मार्केटिंग पर निर्भर करता है. अगर आप अच्छे से मेहनत करते हैं तो आपको लाभ भी अच्छा ही होगा.
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