कृषि प्रणाली में जैविक खेती का महत्व और जैविक खेती के लाभ

Yash Dhakad

17-09-2021 03:44 AM

जैविक खेती से अभिप्राय कृषि की ऐसी प्रणाली से है, जिसमें रासायनिक खाद एवं कीटनाशक दवाओं का प्रयोग न कर उसके स्थान पर जैविक खाद या प्राकृतिक खाद का प्रयोग किया जाए।यह कृषि की एक पारंपरिक विधि है, जिसमें भूमि की उर्वरता में सुधार होने के साथ ही पर्यावरण प्रदूषण भी कम होता है। जैविक खेती पद्धतियों को अपनाने से धारणीय कृषि, जैव विविधता संरक्षण आदि लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिये किसानों को प्रशिक्षण देना महत्त्वपूर्ण है। सूखा, ऋणग्रस्तता और मृदा की घटती उत्पादकता के दुष्चक्र से बाहर निकलने के लिये जैविक खेती एक उपयोगी विकल्प हो सकती है। लेकिन जैविक खेती को लेकर एक सार्वजनिक भ्रम मौजूद है। जैविक खेती के संबंध में हमारी कल्पना महँगे तथा कथित गैर-रासायनिक रूप से उत्पन्न खाद्य उत्पादों तक सीमित है जो उत्पाद कुछ विशिष्ट खुदरा दुकानों पर उपलब्ध होते हैं।

जैविक खेती के लाभ

  • जैविक खेती पद्धति को अपनाने से यह कृषि में कीटनाशकों के उपयोग को कम कर देगा जिससे खेतों में काम करने वाले लोगों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव बहुत कम पड़ेगा।
  • कृषि में जैविक पद्धतियों को अपनाने से किसानों की आय और लाभप्रदता दोनों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जिन किसानों ने भी इसे अपनाया है उनकी कृषि उत्पादकता में भारी वृद्धि हुई है।
  • इसके साथ ही कृषि भूमि की उर्वरता और उत्पादकता भी बढ़ रही है।
  • भारत में जैविक खेती की सफलता प्रशिक्षण और प्रमाणन पर निर्भर करती है। किसानों को त्वरित गति से रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग को कम कर अपनी पारंपरिक कृषि पद्धतियों को अपनाना होगा।
  • किसानों को उर्वर मिट्टी के निर्माण, कीट प्रबंधन, अंतर-फसल और खाद एवं कम्पोस्ट निर्माण जैसे पहलुओं पर प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।
  • पर्यावरण संबंधी लाभ के साथ-साथ स्वच्छ, स्वस्थ, गैर-रासायनिक उपज किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के लिये लाभदायक है। जैविक खेती भारतीय कृषि क्षेत्र के विकास के लिये अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है।

निष्कर्ष
भारत एवं विश्व के अन्य देशों के किसानों का अनुभव रहा हैं कि रासायनिक खेती को तत्काल छोड़कर जैविक खेती अपनाने वाले किसानों को पहले तीन सालों तक आर्थिक रूप से घाटा हुआ, चौथे साल ब्रेक-ईवन बिंदु आता है तथा पाँचवे साल से लाभ मिलना प्रारंभ होता है। भारत में जैविक खेती की संभावनाएँ तभी सफल हो सकती हैं जब सरकार जैविक खेती करने वालों को स्वयं के संस्थानों से प्रमाणीकृत खाद सब्सिडी पर उपलब्ध करवाए तथा चार साल की अवधि के लिये गारंटी युक्त आमदनी हेतु बीमा की व्यवस्था करके प्रारंभिक सालों में होने वाले घाटे की क्षतिपूर्ति करे। सरकार को पशुपालन को बढ़ावा देना चाहिये जिससे किसान जैविक खाद के लिये पूरी तरह बाज़ार पर आश्रित न रहें। सरकार को रासायनिक कृषि क्षेत्र को प्रदत्त अवांछित सब्सिडी को जैविक कृषि क्षेत्र की ओर मोड़ देना चाहिये और देश भर में कृषकों को प्रोत्साहित व प्रशिक्षित करना चाहिये कि वे जैविक कृषि अभ्यासों की ओर आगे बढें तथा इस प्रकार अपनी आजीविका में वृद्धि करें एवं रासायनिकों के खतरे से जीवन की रक्षा करें।

Smart farming and agriculture app for farmers is an innovative platform that connects farmers and rural communities across the country.

© All Copyright 2024 by Kisaan Helpline