हरियाली अब जमीन से आसमान तक वर्टिकल फार्मिंग का युग!

हरियाली अब जमीन से आसमान तक वर्टिकल फार्मिंग का युग!
हरियाली अब जमीन से आसमान तक वर्टिकल फार्मिंग का युग!

Sanjay Kumar Singh

हरियाली अब जमीन से आसमान तक वर्टिकल फार्मिंग का युग!

 

प्रोफेसर (डॉ.) SK Singh

SK Singh Dr RPCAU Pusa

Expert advice by SK Singh

विभागाध्यक्ष, पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट पैथोलॉजी एवं नेमेटोलॉजी

प्रधान, केला अनुसंधान केंद्र,गोरौल,हाजीपुर

डॉ. राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पूसा-848 125, समस्तीपुर, बिहार

 

आज के दौर में तेजी से बढ़ती जनसंख्या और घटती कृषि योग्य भूमि के कारण किसानों और वैज्ञानिकों को नए समाधान तलाशने की जरूरत है। पारंपरिक खेती में अधिक भूमि की आवश्यकता होती है, लेकिन बढ़ती शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण कृषि भूमि सिकुड़ती जा रही है। ऐसे में, खेती का भविष्य अब केवल धरती पर सीमित नहीं रह सकता, बल्कि हमें इसे ऊंचाई की ओर ले जाना होगा। इस चुनौती का समाधान वर्टिकल फार्मिंग (Vertical Farming) के रूप में सामने आया है, जो कम भूमि में अधिक उत्पादन लेने की एक आधुनिक और उन्नत तकनीक है।

 

वर्टिकल फार्मिंग क्या है?

वर्टिकल फार्मिंग एक अभिनव कृषि पद्धति है जिसमें पौधों को मिट्टी के बजाय जल या वायु आधारित माध्यम में उगाया जाता है। इसमें पौधों को एक-दूसरे के ऊपर स्तरों में उगाया जाता है, जिससे पारंपरिक क्षैतिज खेती की तुलना में बहुत कम जगह में अधिक मात्रा में फसल प्राप्त की जा सकती है। यह विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिए लाभदायक है जहां भूमि की उपलब्धता सीमित है, जैसे कि घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्र।

 

वर्टिकल फार्मिंग मुख्य रूप से हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponics), एक्वापोनिक्स (Aquaponics), और एरोपोनिक्स (Aeroponics) जैसी तकनीकों पर आधारित होती है। इन तकनीकों में मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि पानी या हवा में ही पौधों को आवश्यक पोषक तत्व दिए जाते हैं।

 

हाइड्रोपोनिक्स: बिना मिट्टी के खेती

वर्टिकल फार्मिंग की सबसे प्रमुख तकनीक हाइड्रोपोनिक्स है। इसमें पौधे बिना मिट्टी के पानी में उगाए जाते हैं, और आवश्यक पोषक तत्व इस पानी में घोलकर दिए जाते हैं। इस प्रणाली में एक विशेष पाइपिंग सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसमें पौधों की जड़ें पानी में डूबी रहती हैं। पानी में आवश्यक पोषक तत्व मिलाए जाते हैं, जिससे पौधों की वृद्धि तेज होती है और कम समय में अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

 

हाइड्रोपोनिक्स में पानी का कुशल उपयोग होता है, क्योंकि इसमें पारंपरिक खेती की तुलना में 90% तक कम पानी की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, चूंकि इसमें मिट्टी का उपयोग नहीं होता, इसलिए कीटनाशकों और रसायनों की जरूरत भी कम होती है, जिससे उत्पाद अधिक स्वास्थ्यवर्धक और जैविक होते हैं।

 

वर्टिकल फार्मिंग के फायदे

कम जगह में अधिक उत्पादन

पारंपरिक खेती में बड़ी मात्रा में भूमि की आवश्यकता होती है, जबकि वर्टिकल फार्मिंग में छोटे स्थान में भी अधिक मात्रा में फसल उगाई जा सकती है।

 

जल की बचत

हाइड्रोपोनिक्स और एरोपोनिक्स जैसी प्रणालियों में पारंपरिक खेती की तुलना में बहुत कम पानी की जरूरत होती है, जिससे जल संसाधनों की बचत होती है।

 

रसायन-मुक्त खेती

मिट्टी के अभाव में हानिकारक कीटनाशकों और रसायनों की आवश्यकता कम हो जाती है, जिससे स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित और जैविक उत्पाद प्राप्त होते हैं।

 

जल्दी तैयार होने वाली फसलें

चूंकि पौधों को पोषक तत्व सीधे दिए जाते हैं, वे तेजी से बढ़ते हैं और पारंपरिक खेती की तुलना में 40% से 50% जल्दी तैयार हो जाते हैं।

 

हर मौसम में खेती संभव

वर्टिकल फार्मिंग को ग्रीनहाउस या नियंत्रित वातावरण में किया जा सकता है, जिससे मौसम पर निर्भरता कम हो जाती है और पूरे साल उत्पादन संभव होता है।

 

शहरी क्षेत्रों में खेती की संभावना

वर्टिकल फार्मिंग के माध्यम से शहरों में ऊंची इमारतों, छतों और इंडोर स्पेसेज में खेती करना संभव हो जाता है, जिससे शहरी लोगों को ताजा और स्वस्थ उत्पाद मिलते हैं।

 

कम जनशक्ति की जरूरत

पारंपरिक खेती के विपरीत, वर्टिकल फार्मिंग को ऑटोमेशन और सेंसर तकनीक के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे श्रम लागत में भी कमी आती है।

 

सब्जी उत्पादन में वर्टिकल फार्मिंग की सफलता

वर्टिकल फार्मिंग पत्तेदार सब्जियों (जैसे पालक, सलाद पत्ते, धनिया), टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च और स्ट्रॉबेरी जैसी फसलों के लिए बेहद प्रभावी साबित हो रही है। इस पद्धति में पौधे नियंत्रित वातावरण में उगाए जाते हैं, जिससे न केवल उत्पादन बढ़ता है, बल्कि उत्पाद की गुणवत्ता भी बेहतर होती है।

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