आम के फलों की परिपक्वता को कैसे पहचाने एवं फल की तुड़ाई के समय ध्यान देने योग्य प्रमुख बातें

Sanjay Kumar Singh

01-05-2023 02:29 AM

डॉ एसके सिंह 
प्रोफेसर (पौधा रोग) 
प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना
एवं सह निदेशक अनुसन्धान 
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर, बिहार 

उत्तर भारत के साथ साथ बिहार में परिपक्व आम तोड़ने एवं पकाने का समय मई के अंतिम सप्ताह से लेकर अगस्त तक होता है। उस समय अधिकतम तापमान 30-35 डिग्री सेल्सियस, न्यूनतम तापमान 20-24 डिग्री सेल्सियस, सुबह के समय की आर्द्रता 85-95% एवं शाम के समय की आर्द्रता 75-85% के मध्य होती है।

सभी आम प्रेमियों के लिए यह एक खुशी का समय है, क्योंकि उन्हें फलों के राजा का स्वाद लेने का अवसर प्राप्त होगा जिसका सभी आम प्रेमियों को साल भर इंतज़ार रहता है। सभी आम उत्पादक किसान को पता होना चाहिए कि इन आमों को पेड़ से तोड़ने के लिए बहुत प्रयास करना पड़ता है एवं योजना, समय और तकनीक की आवश्यकता होती है। चाहे आपके पास एक ही पेड़ हो, या एक पूरा बाग हो, आम की तुड़ाई की जानकारी बेहद आवश्यक है।

आम के फलों की परिपक्वता को कैसे पहचाने या कब तोड़े ?
एक परिपक्व आम के फल की तुड़ाई करने में फलों के सेट होने से लेकर तुड़ाई के मध्य लगभग 120 से 140 दिन लगते हैं,यह प्रजाति के अनुसार अलग अलग होते है। परिपक्व होने पर आम के फल के कंधे (पक्ष) ऊपर उठ जाते हैं, और आंशिक रूप से डंठल से जहां जुडे होते हैं, धँस जाते हैं। गहरे हरे फल परिपक्वता के समय हल्के पीले रंग में बदलने लगते हैं। कुछ आम की किस्मों में, फल की त्वचा पर एक स्पष्ट सफेद परत परिपक्वता पर बनती है। बाग में जब आम के फल अपने आप पक कर गिराने लगते है ,तब भी बागवान समझ जाता है की अब आम की तुडाई किया जा सकता है,और पका कर बाजार में भेजा जाने योग्य हो गया है।

आम की तुड़ाई के समय ध्यान देने योग्य बातें
आम के फल तुड़ाई के बाद के कई प्रकार के संक्रमणों के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं। ये रोग मुख्य रूप से कवक और बैक्टीरिया के कारण हो सकते हैं। तुड़ाई उपरांत आम के फसल की क्षति के कई कारण  हो सकते है यथा फल का दोषपूर्ण रख रखाव, तापमान का ठीक न होना, आर्द्रता, फलों का भंडारण इत्यादि फल के शेल्फ लाइफ  को प्रभावित करती है। अच्छे फलों के साथ खराब फलों को रखने से भी आम के फलों की क्षय और क्षति दोनों प्रभावित होती  है। यदि फल के सतह पर कोई खरोंच या चोट लगती है, तो बैक्टीरिया, खमीर और मोल्ड जैसे सूक्ष्म जीव उसमें आक्रमण करते हैं और आंतरिक क्षय का कारण बनते हैं। उच्च तापमान और आर्द्रता सूक्ष्मजीवों द्वारा कटाई के बाद फलों के सड़ने की प्रक्रिया को तेज करते हैं। नुकसान को कम करने के लिए पत्तियों, तनों और फूलों (फसल पूर्व) पर होने वाले रोगों का नियंत्रण महत्वपूर्ण है। इसी तरह, कटाई के बाद के तापमान प्रबंधन और भंडारण और परिवहन के दौरान उचित प्रबंधन भी उतना ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि उच्च तापमान और चोटों या घावों से और नुकसान होता है । यदि फल के तुड़ाई से  पूर्व रोगों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित नहीं किया गया तो  फल की तुड़ाई  के बाद होने वाले रोग ठीक से प्रबंधित नहीं होते है

फलों की तुड़ाई हमेशा सूर्योदय से पूर्व या शाम के समय करना चाहिए। तुड़ाई के बाद फलों को कभी भी सीधे धूप में न रखें। एक ही पेड़ पर सभी फल एक ही समय में परिपक्व नहीं हो सकते हैं, क्योंकि मंजर में फल भी कभी एक साथ नही लगते है। इसलिए एक साप्ताहिक अंतराल में एक बाग में 2-3 तुड़ाई करने की सिफारिश की जाती है। तुड़ाई करते समय फलों को जमीन पर गिरने से हरहाल में बचाना चाहिए। कुशल तुड़ाई और फलों के संग्रह के लिए ब्लेड और नायलॉन नेट के साथ विशेष आम हार्वेस्टर का उपयोग करें। तुड़ाई के समय ध्यान देना चाहिए की फल से निकल रहे स्राव फल के ऊपर न पड़े। फलों की कटाई के तुरंत बाद, उन्हें पहले छायादार स्थान पर इकट्ठा किया जाना चाहिए ताकि बाग की गर्मी को दूर किया जा सके और उसके बाद भंडारण से पहले धोया और सुखाया जाना चाहिए।
आम तुड़ाई से पूर्व किसी भी प्रकार का कोई भी उर्वरक का प्रयोग भी करना चाहिए इससे कोई फायदा नहीं है। जब फल पूर्ण आकार प्राप्त कर लेते हैं, तो आम के बाग को पानी देना बंद कर देंना चाहिए, इससे आम के पकने की प्रक्रिया में तेज़ी आती है। फलों की तुड़ाई से तीन सप्ताह पूर्व थायोफेनेट मिथाइल 70 डब्ल्यू0 पी0 @ 1 ग्राम /लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से फल की तुड़ाई के उपरान्त होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।आम की तुड़ाई हमेशा सुबह या सायंकाल को 8-10 सेमी लम्बी डंठल सहित तुड़ाई करना चाहिए। यदि सम्भव हो तो तुड़ाई सिकेटियर की सहायता से करें। तुड़ाई किये फलों को सीधे मिट्टी के सम्पर्क में नही आने देना चाहिए।फलों की तुड़ाई के बाद उसमें से रस का श्राव होता है। श्राव से फल खराब हो सकते है, अतः फलों को उल्टा रख कर स्राव से फलों को बचाना चाहिए।भण्डारण पूर्व फलों को धो लेना चाहिए।

फलों को कार्बेन्डाजिम 0.1 % गर्म पानी के घोल  में 52 डिग्री फारेनहाइट पर 15 मिनट तक उपचार करने से भी संक्रमण को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। फलों की तुड़ाई के समय रोगग्रस्त फलों की छटाई करके हटा देना चाहिए और उसे  नष्ट कर देना चाहिए।

धोने के उपरान्त फलों को एक समान पकाने के लिए आवश्यक है कि इसे इथरेल नामक दवा @1.5 मीली दवा प्रति  लीटर पानी में घोलकर 5-7 मिनट डुबाकर भण्डारण करना चाहिए। यदि इसी घोल में थायोफेनेट मिथाइल नामक फफूदनाशक @ 1 ग्राम प्रति 2 लीटर पानी की दर से मिला देने से इसे अधिक समय पर भण्डारित किया जा सकता है। आम को कभी भी कार्बाइड से नही पकाना चाहिए क्योकि यह स्वास्थ के लिए बहुत ही खतरनाक है।

उपरोक्त उपायो को अमल में लाकर आम में होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है एवं गुणवक्तयुक्त फल प्राप्त किया जा सकता है।

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